क्या आपको मालूम है कि पिछले एक साल में आपके शहर में कितने सार्वजनिक शौचालय बने। कुछ को मालूम होगी यह बात लेकिन जब भीड़ धारणा के आधार पर या किसी बात के उत्साह में कहे तो एक बार रूक कर सोचना चाहिए। अगर ऐसे विमर्श बनेगा, इस आधार पर जनमत तैयार होगा तो वो कभी वास्तविक हो ही नहीं सकता है।