चुनाव का समय होता तो रोज़ कोई नेता प्रेस कांफ्रेस करता और छाती पीट-पीट कर कहता कि मां भारती के सपूतों की ये दुर्दशा मुझसे नहीं देखी जाती है। हो सकता है कि सैनिकों की तरह किसानों, रेल मज़दूरों, शिक्षकों को अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करना पड़ जाए। लेकिन क्या आरएसएस के मुखपत्र ने ऐसा कहा है कि सभी प्रदर्शन हिन्दू विरोधी हैं। बिल्कुल ऐसा नहीं कहा है। सिर्फ आईआईटी मद्रास में हुए और एफटीआईआई पुणे में हो रहे प्रदर्शनों के बारे में ऐसा कहा है।