मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जो पानी के अधिकार की शुरुआत करने जा रहा है. पानी का अधिकार क़ानून बनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन हो रहा है. जिसमें विषय-विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और क़ानून विशेषज्ञों के सुझावों पर मंथन किया गया. जनता की भागीदारी सुनिश्चित कर इसे क़ानून का रूप देने की योजना है. मुख्यमंत्री कमलनाथ केन्द्र सरकार को भी 'राइट टू वॉटर' का मॉडल देकर आए हैं. प्रदेश के साथ इसे पूरे देश में लागू करने की वक़ालत की गई है.