आख़िर कब तक सरकार भी देखती और कब तक लोग भी देखते. पेट्रोल, डीज़ल और रसोई गैस के दाम बढ़ते-बढ़ते कहां तक जाएंगे किसी को नहीं पता. कई महीनों से जनता पेट्रोल डीज़ल और रसोई गैस के दाम दिए जा रही थी और यह मान लिया गया था कि जनता इस बार उफ्फ तक नहीं कर रही है क्योंकि वह सरकार के ख़िलाफ़ नारे नहीं लगा रही है. तेल को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्थिति जो पहले थी वैसी ही अभी भी है. सब कुछ अंतरराष्ट्रीय नहीं है. कुछ भारत के भीतर की भी समस्या है. देखते देखते देश के कई शहरों में 90 रुपये लीटर से अधिक दाम पर पेट्रोल बिकने लगा था. सरकार ने आज कुछ कदम उठाया है, जो थोड़ी बहुत राहत पहुंचेगी वो कितनी देर तक राहत रहेगी किसी को पता नहीं है.