यह कह देना बहुत आसान है कि हम सब मुज़फ़्फ़रपुर के इंसेफ्लाइटिस से मारे गए बच्चों के गुनहगार हैं. तथ्य ये है कि मुजफ्फरपुर में पहली बार इस तरह बच्चे इंसेफ्लाइटिस की चपेट में नहीं आए हैं. पहले भी आते रहे हैं. तथ्य ये भी है कि सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही बच्चों को ये बीमारी घेरती रही हो, ऐसा भी नहीं है. ये अलग-अलग सालों में अलग-अलग शहरों में तबाही मचाती रही है. मसलन 12 अक्टूबर 2011 को बीबीसी पर छपी एक रिपोर्ट देखिए. उस साल 400 लोग इंसेफ्लाइटिस की चपेट में आकर मारे गए थे. इनमें ज़्यादातर बच्चे थे. गोरखपुर के एक अस्पताल में 2300 बच्चे ऐडमिट हुए थे. इस रिपोर्ट के मुताबिक इस एक अस्पताल में 1978 के बाद से 6000 बच्चे इस बीमारी की चपेट में आकर मारे जा चुके हैं. ऐसे आंकड़े ढेर सारे हैं. हम नहीं चाहते कि बच्चों को आंकड़ों में बदल दें.