2014 की जीत के बाद भाजपा और मोदी पार्टी के समर्थकों के लिए एक ही हो गए, लेकिन पार्टी से वो लोग छिटक गए जो अब भी वाजपेयी की भाजपा ढूंढ रहे थे.
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