सैलरी तो बढ़ी है मगर समस्या उससे भी बड़ी हैं, हम सातवें वेतन आयोग के लागू होने की भी बात करेंगे मगर पहले जो कर रहे थे, करते रहेंगे. उच्च शिक्षा की हालत ख़राब नहीं है, उनकी ख़राब है जो उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज गए, एडमिशन फीस दी, 3-4 साल वहां बिताया फिर भी इस बात से फर्क नहीं पड़ा कि क्लास रूम में पढ़ाने के लिए कोई प्रोफेसर नहीं आया. वे डिग्री का इंतज़ार करते रहे, प्रोफेसर का किया ही नहीं. जो प्रोफसर बचे हुए हैं उनमें से कई बहुत अच्छा पढ़ाते हैं, कई राजनीतिक दलों का झोला ढोते हैं और कइयों को पढ़ाने ही नहीं आता है.