उत्तर प्रदेश : BJP के "हिंदुत्‍व के एजेंडे" को चुनौती देने की तैयारी? जानें - सपा का रोड मैप

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते यह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व की एकजुटता की रणनीति के खिलाफ जातियों के धुव्रीकरण की एक कोशिश है.

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लखनऊ:

भारतीय जनता पार्टी की ओर से कथित धार्मिक ध्रुवीकरण के जवाब में अगले वर्ष प्रस्तावित लोकसभा चुनावों के लिए राज्य में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने जातीय ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज कर दी हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि पड़ोस के राज्य बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी जातीय जनगणना के लिए दबाव बनाने की सपा की कोशिश इसी रणनीति का हिस्सा है. बिहार में सात जनवरी से राज्‍य सरकार द्वारा जातीय जनगणना शुरू कराये जाने के बाद उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) जातिवार जनगणना के मामले पर सदन (विधान मंडल) से लेकर सड़क तक आंदोलन कर रही है. वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) समेत अन्य विपक्षी तथा सत्ता पक्ष के सहयोगी दल इस मांग से सहमत होते हुए भी सपा को ही कटघरे में खड़ा करते नजर आ रहे हैं.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत यह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व की एकजुटता की रणनीति के खिलाफ जातियों के धुव्रीकरण की एक कोशिश है. एक आंकड़े के मुताबिक, उत्‍तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग जातियों की आबादी 52.10 प्रतिशत और दलितों की 21 प्रतिशत मानी जाती है और सपा के नेता पिछड़ों और दलितों के हक के लिए जातीय जनगणना पर जोर दे रहे हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी 85 प्रतिशत हिंदुओं के मतों को अपने पक्ष में करने की मुहिम में सक्रिय है.

लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर संजय गुप्ता ने 'पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा,''लोकसभा चुनाव आ रहा है और भारतीय जनता पार्टी व प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को चुनौती देने के लिए विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए इसे तूल देकर जाति के नाम पर भावनाओं को उभारा जा रहा है.'' एक अन्य राजनीतिक जानकार ने बताया कि जनवरी 2024 में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा और इससे समाजवादी पार्टी में बेचैनी है, क्योंकि आने वाले चुनाव में इससे भाजपा के पक्ष में हिंदुओं का ध्रुवीकरण हो सकता है. यही वजह है कि सपा पिछड़ों की गोलबंदी की मुहिम में जुट गयी है.

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सपा ने इस मुहिम के लिए चौतरफा तैयारी शुरू कर दी है. एक तरफ सपा ने विधानसभा में जोरदार ढंग से यह मुद्दा उठाया है तो वहीं इस मांग पर बल देने के लिए सपा नेता पहले चरण में राज्य में 24 फरवरी से पांच मार्च तक प्रखंड ( ब्‍लॉक) स्‍तर पर संगोष्ठी करके अन्य पिछड़ा वर्ग सहित सभी जातियों को जागरूक करने के लिए दौरे कर रहे हैं. अपने घोषणापत्र का जिक्र करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में फिर से मांग रखी कि जातीय जनगणना होनी चाहिए. सपा के घोषणापत्र में भी यही वादा किया गया था कि उनकी सरकार बनी तो इस दिशा में कदम उठाया जाएगा.

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इससे पहले विधानसभा में ही प्रश्नकाल के दौरान सपा सदस्य डॉक्टर संग्राम यादव ने सरकार से पूछा कि क्या वह बिहार सरकार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी जातिवार जनगणना करायेगी. सरकार की ओर से इंकार करने पर सपा सदस्यों ने जमकर हंगामा किया और 35 मिनट तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित रही. उधर, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राष्ट्रीय स्‍तर पर जातिवार जनगणना का समर्थन किया लेकिन साथ ही कहा कि समाजवादी पार्टी के लिए यह बेहतर होता कि वह इस कार्य को अपनी सरकार में ही पूरा करा लेती.

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सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्‍य सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष सिंह पटेल, निषाद पार्टी के नेता और प्रदेश सरकार के मत्स्य मंत्री डॉक्टर संजय निषाद और विपक्षी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने अलग-अलग बयानों में जातिवार जनगणना का समर्थन किया है, लेकिन इन सभी नेताओं ने सपा को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि चार बार सत्ता में रहने के बावजूद आखिर सपा ने जातीय जनगणना क्यों नहीं कराई.

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अखिलेश यादव इन दलों के विरोध को भाजपा द्वारा प्रायोजित करार देते हैं . उनका कहना है कि भाजपा बहुत होशियार पार्टी है. यादव ने शुक्रवार को नोएडा में पत्रकारों से कहा कि इस पर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री क्या कहते हैं, यह सबसे बड़ा सवाल है. छुटभैये नेताओं से इस समस्या का समाधान नहीं होगा. चार बार समाजवादी सरकार रहने पर भी जातीय जनगणना न कराने को लेकर विभिन्न दलों की आलोचना पर यादव ने सफाई दी '' आपको याद होगा लोकसभा में उस समय नेताजी (मुलायम सिंह यादव), शरद यादव जी, लालू प्रसाद यादव जी और दक्षिण भारत के नेता कांग्रेस के पास गये थे कि जातीय जनगणना हो.''

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि जो सत्ता में रहते हुए जातीय न्‍याय नहीं कर सके, उन्हें यह मांग करने का नैतिक अधिकार नहीं है. मौर्य ने कहा ''मैं जातीय जनगणना के समर्थन में हूं लेकिन अखिलेश यादव को इस पर बोलने का अधिकार नहीं है.'

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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