पहले काम कोई करता था, पद्म पुरस्कार कोई और ले जाता था: आनंदीबेन पटेल

राज्यपाल ने कहा कि इस मुक्त विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले लोगों की संख्या धीरे धीरे बढ़नी चाहिए और अपेक्षा है कि आने वाले दो-तीन वर्षों में इस विश्वविद्यालय में एक लाख से अधिक विद्यार्थियों का दाखिला होना चाहिए. फिलहाल इस विश्वविद्यालय में करीब 70,000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.

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प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को यहां कहा कि पहले (2014 में मोदी सरकार आने से पूर्व) बड़े-बड़े लोगों को पद्म पुरस्कार दिया जाता था. उन्होंने कहा कि काम कोई करता था और पुरस्कार कोई और ले जाता था. पटेल ने यहां राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “आज पूरी व्यवस्था बदल चुकी है. आज पूरे भारत में सर्वेक्षण किया जाता है और पता लगाया जाता है कि कौन महिला, पुरुष, आदिवासी हैं जो अलग काम कर रहे हैं. इस सर्वेक्षण में ढूंढ कर लोगों को पद्म पुरस्कार दिया जाता है.”

उन्होंने कहा, “आज हर साल सौ से ज्यादा ऐसे भाई-बहनों को पद्म पुरस्कार मिलते हैं. मैं चाहती हूं कि विश्वविद्यालय के छात्र पिछले पांच साल में भारत सरकार से पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वाले लोगों के बारे में अध्ययन करें. इन लोगों को ये पुरस्कार क्यों मिला, यह जानने के लिए आप एक छोटी सी पुस्तिका बनाएं. यह पुस्तिका आपको बड़ी प्रेरणा देगी.”

पटेल ने उद्योगपति दिवंगत धीरूभाई अंबानी के जीवन से जुड़ी एक घटना साझा करते हुए कहा, “धीरूभाई अंबानी सौराष्ट्र में छोटा काम करते थे और वह प्रतिदिन 10 रुपये कमाते थे. वह एक होटल में जाकर पांच रुपये में एक कप चाय पीते थे. उनके मित्रों ने एक दिन पूछा कि आप 10 रुपये में से पांच रुपये चाय पर खर्च कर देते हो, जबकि हम एक रुपये में चाय पीते हैं और हमारा नौ रुपये बच जाता है.”

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पटेल ने कहा, “इस पर धीरूभाई अंबानी ने कहा कि जिस होटल में मैं पांच रुपये में चाय पीता हूं, वहां बड़े बड़े लोग आते हैं और कारोबार से जुड़ी बड़ी बड़ी बातें करते हैं. मैं इन लोगों के बीच बैठकर उनकी बातें सुनता हूं क्योंकि मुझे आगे जाने के लिए कुछ ना कुछ ज्ञान की बातें चाहिए होती हैं. इन लोगों का इतिहास जानकर मुझे प्रेरणा मिलती है कि मैं भी आगे जाकर बड़ा कर सकता हूं.”

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राज्यपाल ने कहा कि इस मुक्त विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले लोगों की संख्या धीरे धीरे बढ़नी चाहिए और अपेक्षा है कि आने वाले दो-तीन वर्षों में इस विश्वविद्यालय में एक लाख से अधिक विद्यार्थियों का दाखिला होना चाहिए. फिलहाल इस विश्वविद्यालय में करीब 70,000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.

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मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शैक्षणिक नियोजन एवं प्रशासन संस्थान की कुलपति शशिकला वंजारी ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “प्रदेश के सुदूर क्षेत्रों तक शिक्षा की पहुंच को सुगम बनाते हुए इस विश्वविद्यालय ने समाज के वंचित वर्गों, महिलाओं, सेवारत व्यक्तियों, जेल में बंद सजायाफ्ता कैदियों की उच्च शिक्षा के लिए सार्थक कदम उठाए हैं.”

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उन्होंने कहा कि चौबीस करोड़ से अधिक की आबादी वाले इस राज्य में ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से ही समाज के हर वर्ग तक शिक्षा की पहुंच बनाई जा सकती है.

इस दीक्षांत समारोह में 26 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए जिसमें से नौ स्वर्ण पदक पुरुष विद्यार्थियों और 17 स्वर्ण पदक महिला विद्यार्थियों को प्रदान किए गए. सबसे अधिक चार स्वर्ण पदक गृह विज्ञान की छात्रा नीलम ने प्राप्त किए.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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