अंगूठी-ताबीज बेचकर छांगुर बाबा ने कैसे खड़ा किया करोड़ों का साम्राज्य? पढ़ें पूरा काला चिट्ठा

Chhangur Baba Case : एक जमाने में अंगूठी और ताबीज बेचने और बाद में ग्राम प्रधान बने छांगुर के पास अचानक इतने पैसे कहां से आए. इसी सवाल की वजह से सुरक्षा एजेंसियों को उस पर शक हुआ. अब तक मिले दस्तावेजों के आधार पर छांगुर के अलग अलग 40 अकाउंट्स में अब तक 106 करोड़ रुपयों का फंड आने की पुष्टि हुई है.

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  • उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से छांगुर बाबा और उसके तीन सहयोगियों को धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया है और उनकी आतंकी गतिविधियों की जांच चल रही है।
  • छांगुर बाबा की अचानक आय में भारी वृद्धि के कारण ईडी ने उनकी संपत्ति और फंड के स्रोतों की जांच शुरू की है, जिसमें 106 करोड़ रुपये के फंड की पुष्टि हुई है।
  • छांगुर बाबा ने बलरामपुर के उतरौला इलाके में अवैध इमारत बनवाई थी, जिसे बाद में सरकारी कार्रवाई में बुलडोजर से गिरा दिया गया।
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बलरामपुर:

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार छांगुर बाबा पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है. यूपी एटीएस बाबा और उसके तीन अन्य सहयोगियों पर गिरफ्तारी की कार्रवाई के बाद एटीएस भी आतंकी गतिविधियों के लिहाज से जांच पड़ताल कर रही है. छांगुर के खिलाफ मामला यूपी एसटीएफ ने दर्ज किया था, इसलिए एसटीएफ भी इस मामले में छानबीन कर रही है. इसके अलावा स्थानीय पुलिस बलरामपुर में इस गिरोह में शामिल लोगों को लेकर तफतीश कर रही है.

अवैध धर्मांतरण के मामले में यूपी एटीएस को छांगुर बाबा की रिमांड मिली है. कोर्ट ने 7 दिनों के लिए बाबा को रिमांड पर भेज दिया है. जमालुद्दीन उर्फ छांगूर बाबा, नीतू उर्फ नसरीन की पुलिस कस्टडी की अर्जी मंजूर की गई. रिमांड मंजूरी के बाद एटीएस इन दोनों से गहनता से पूछताछ करेगी.

छांगुर की आमदनी में अचानक आई बढ़ोतरी
इन तीन एजेंसियों के बाद अब एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानी ईडी ने भी छांगुर की आमदनी का पता लगाने के लिए मामला दर्ज कर लिया है. ईडी की लखनऊ यूनिट ने मंगलवार देर शाम छांगुर की आमदनी को लेकर मामला दर्ज किया है. ईडी की जांच का मुख्य आधार छांगुर की आमदनी में अचानक आई बढ़ोतरी है. इसमें छांगुर की संपत्ति कहां- कहां है, पैसे कहां से आए, किसने भेजे, पैसे भेजने की वजह क्या है? जैसे सवाल हैं, जिनका जवाब ईडी ढूंढ़ेंगी.

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106 करोड़ रुपयों का फंड आने की पुष्टि
एक जमाने में अंगूठी और ताबीज बेचने और बाद में ग्राम प्रधान बने छांगुर के पास अचानक इतने पैसे कहां से आए. इसी सवाल की वजह से सुरक्षा एजेंसियों को उस पर शक हुआ. अब तक मिले दस्तावेजों के आधार पर छांगुर के अलग अलग 40 अकाउंट्स में अब तक 106 करोड़ रुपयों का फंड आने की पुष्टि हुई है. ये सारे पैसे मॉडल ईस्ट के इस्लामिक देशों से आए हैं. सुरक्षा एजेंसियों को यकीन है कि अभी और ज़्यादा फंड के ट्रांजेक्शन के प्रमाण मिल सकते हैं. इसको लेकर जांच की जा रही है.

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ग्राम प्रधान भी रह चुका छांगुर बाबा
नेपाल से सटे बलरामपुर जिले के उतरौला इलाके में छांगुर बाबा का पूरा साम्राज्य है. छांगुर रहने वाला उतरौला के रेहरा माफी गांव का है. वो रेहरा माफी का ग्राम प्रधान भी रह चुका है. नीतू उर्फ नसरीन के संपर्क में आने के बाद छांगुर ने रेहरा मांफी गांव से लगभग तीन किलोमीटर दूर मधपुर में एक जमीन पर बड़ी सी इमारत बनाई. कहा गया कि बाबा ने एक दरगाह के बगल में जमीन खरीदी और उस पर इमारत खड़ी कर दी. हालांकि, सरकारी जांच में ये इमारत अवैध पाई गई और इस पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई भी कर दी गई है.

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छांगुर बाबा की इस इमारत में दो हिस्से थे. एक हिस्सा वो रहा जहां छांगुर बाबा अपनी पत्नी, बेटे के अलावा नीतू, नवीन और उसकी बेटी के साथ रहता था. इस इमारत में दूसरा हिस्सा भी बना था. इस दूसरे हिस्से को लेकर दावा था कि इसमें अस्पताल बनेगा. कुछ साल बाद ये दावा किया गया कि इस इमारत में अस्पताल नहीं बन सकता. इसलिए स्कूल या कॉलेज बनाया जाएगा. हालांकि, सालों बीतने के बावजूद इसका इस्तेमाल किस लिए होता था. ये फिलहाल साफ नहीं है. इस इमारत में दो कुत्ते भी पाले गए थे और 15 सीसीटीवी कैमरा भी लगाया गया था.

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कई जगहों पर संपत्तियां खरीदी
बलरामपुर की इस इमारत के अलावा बाबा ने कई जगहों पर संपत्तियां खरीदी थीं. इनमें एक संपत्ति महाराष्ट्र के लोनावाला की है. पुणे जिले के लोनावाला की इस जमीन को छांगुर और नवीन उर्फ जमालुद्दीन के नाम से 2 अगस्त 2023 को खरीदा गया. इस जमीन की कीमत कागजात के हिसाब से 16 करोड़ 49 लाख है. इस जमीन को बेचने वाले शख़्स का नाम मोहम्मद अहमद खान है. अहमद खान नाम का शख़्स भी जांच के दायरे में है, क्योंकि जो फण्ड छांगुर के पास आया है, उसमें अहमद खान ने भी पैसे भेजे हैं. अब ये अहमद खान वहीं है ,जिसने जमीन बेची या ये कोई अलग अहमद खन है. इसकी पड़ताल की जा रही है.

सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर वो एजेंट और सरकारी सिस्टम में बैठे अधिकारी और कर्मचारी हैं, जो छांगुर के अवैध काम में उसके मददगार थे. साथ ही उसने कहां-कहां संपत्तियां ख़रीदीं. कितने लोगों का धर्मांतरण कराया और जो पैसे उसके पास आए, क्या उसका इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों में भी हुआ. ये भी जांच का हिस्सा है. फिलहाल छांगुर और उसके तीन सहयोगी गिरफ्तार हैं और अभी कई अन्य एजेंट्स और छांगुर के मददगारों की गिरफ़्तारी होनी बाकी है.

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