अमेरिकी नागरिकों को ठगने के लिए बना दिया फर्जी कॉल सेंटर, CBI ने किया भंडाफोड़, मास्‍टरमाइंड गिरफ्तार

सीबीआई ने अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने वाले एक अवैध कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. लखनऊ में चल रहे इस कॉल सेंटर से पुलिस को कई अहम सबूत मिले हैं.

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  • लखनऊ में CBI ने अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने वाले अवैध कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है.
  • साथ ही एक साल से फरार साइबर फ्रॉड का नेटवर्क चलाने वाले विकास कुमार को गिरफ्तार किया गया है.
  • छापेमारी में 14 लाख रुपये नकद, कई मोबाइल फोन, साइबर फ्रॉड दस्तावेज और 52 लैपटॉप बरामद हुए हैं.
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लखनऊ:

लखनऊ में CBI ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने वाले अवैध कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. साथ ही इस पूरे रैकेट के मुख्य फरार आरोपी विकास कुमार निमर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. विकास पिछले एक साल से CBI की पकड़ से बच रहा था. फर्जी कॉल सेंटर से कई लैपटॉप के साथ ही अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने के लिए इस्‍तेमाल किए जाने वाला डेटा भी बरामद किया गया है. साथ ही आरोपी विकास के घर पर भी छापेमारी में सीबीआई को अहम सबूत मिले हैं. 

CBI ने सितंबर 2024 में एक बड़ा साइबर फ्रॉड केस दर्ज किया था. इसके बाद पुणे, हैदराबाद और विशाखापट्टनम में छापेमारी कर 4 अवैध कॉल सेंटर पकड़े थे, जो अमेरिकी नागरिकों को ठगने का काम कर रहे थे. 

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विकास कुमार की थी अहम भूमिका

इनमें से कई कॉल सेंटर चलाने में विकास कुमार निमर की अहम भूमिका थी. वह VC Infometrix Pvt Ltd नाम की फर्जी कंपनियों के जरिए यह नेटवर्क चला रहा था. मामला दर्ज होने के बाद से ही वह फरार था. 

CBI ने कोर्ट से वॉरंट लेकर विकास की तलाश तेज की और आखिरकार 20 नवंबर 2025 को उसे लखनऊ स्थित उसके घर से गिरफ्तार कर लिया. छापेमारी में CBI को कई अहम सबूत मिले

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छापेमारी में क्‍या बरामद हुआ 

  • 14 लाख रुपये नकद
  • कई मोबाइल फोन
  • साइबर फ्रॉड से जुड़े दस्तावेज

लखनऊ में चल रहा था कॉल सेंटर

सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि विकास लखनऊ में रहते हुए भी एक नई अवैध कॉल सेंटर यूनिट चला रहा था. यहां से पुलिस ने 52 लैपटॉप बरामद किए हैं, जिनमें साइबर फ्रॉड के सबूत मौजूद थे. साथ ही वो डिजिटल डेटा भी बरामद किया गया है, जिसे अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने में इस्तेमाल किया जाता था. 

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CBI पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर ऐसे साइबर क्राइम गैंग्स पर कार्रवाई तेज कर रही है. इंटरपोल और अन्य विदेशी एजेंसियों की मदद से इस तरह के ठगी नेटवर्क पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है. 

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