अगर आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरने की तैयारी में हैं तो जरा सावधानी बरतें. नए ITR रूल्स के तहत अगर आपने फर्जी डिडक्शन क्लेम किया या इनकम छिपाई, तो आपको भारी जुर्माना झेलना पड़ सकता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने साफ कहा है कि अगर आपने अपनी रिटर्न में गलत जानकारी दी, तो जितना टैक्स बनता है, उसका 200% तक पेनल्टी लग सकती है. इसके अलावा 24% सालाना ब्याज और सेक्शन 276C के तहत केस भी हो सकता है. यानि छोटी सी गलती या झूठा क्लेम आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकता है.
इससे बचना है तो जरूरी है कि आप अपनी इनकम और डिडक्शन की डिटेल एकदम सही भरें.यहां हम आपको बताने जा रह हैं कि कौन-सी आम गलतियों से आपको बचना चाहिए और कैसे आप पेनल्टी से बच सकते हैं.
ये हैं ITR में की जाने वाली कुछ आम गलतियां जो आप पर भारी पड़ सकती हैं...
- बिल या प्रूफ के बिना 80C के डिडक्शन क्लेम करना
- अगर आपने LIC, PPF या ट्यूशन फीस जैसी चीजों पर जो पैसा खर्च किया है, उसका प्रूफ नहीं है, तो वो क्लेम टैक्स डिपार्टमेंट खारिज कर सकता है.
- पहले पुराने टैक्स रेजीम चुनना और बाद में नए पर स्विच करना
- पुराने टैक्स रेजीम में डिडक्शन का फायदा मिलता है, लेकिन अगर बाद में आप नए रेजीम चुन लेते हैं, तो वो सारा फायदा खत्म हो जाता है.
- बिना रेंट एग्रीमेंट या मकान मालिक के PAN के HRA क्लेम करना
- अगर आप HRA क्लेम कर रहे हैं, तो आपके पास किराए का सबूत और मकान मालिक का PAN होना जरूरी है.
- पर्सनल खर्च को बिजनेस खर्च बताना
- मोबाइल बिल, खाना या ट्रैवल जैसे खर्च अगर पर्सनल हैं, तो उन्हें बिजनेस खर्च की तरह दिखाना गलत होगा.
- फ्रीलांसिंग, क्रिप्टो या साइड इनकम छिपाना
अगर आपने किसी भी तरह की एक्स्ट्रा इनकम कमाई है, तो उसे छिपाना भारी पड़ सकता है. हर इनकम सोर्स को रिपोर्ट करना जरूरी है.
पेनाल्टी से बचने के लिए क्या करें?
- जिस चीज पर डिडक्शन क्लेम कर रहे हैं, उसका प्रूफ जरूर रखें और वो असली होना चाहिए
- अपनी Annual Information Statement(AIS) से इनकम मैच करें
- हर इनकम सोर्स को डिक्लेयर करें
- डेडलाइन से पहले ITR फाइल करें
ITR से जुड़े इन बातों का रखें ध्यान
अगर डिपार्टमेंट को पता चला कि आपने जानबूझकर गलत जानकारी दी है तो revised return फाइल करने का कोई फायदा नहीं होगा. ये भी जान लें कि अगर CA या कंसल्टेंट से गलती हो गई तो भी ये जिम्मेदारी आपकी ही मानी जाएगी. भले ही रिटर्न किसी और ने भरी हो, लेकिन कानून के हिसाब से जवाबदेही टैक्सपेयर्स की ही होती है. ये नियम सिर्फ सैलरीड लोगों पर नहीं बल्कि नौकरीपेशा, फ्रीलांसर, प्रोफेशनल और बिजनेस करने वालों यानि सभी पर लागू होते हैं.
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