आम आदमी, यानी देश का सबसे बड़ा मध्यम और निम्न-मध्यम वर्ग, हर साल आम बजट पर यही सोचकर नज़रें गड़ाए बैठा रहता है कि उसे इनकम टैक्स में कोई छूट मिलने जा रही है या नहीं. आयकर में छूट पाने के लिए तय सीमा ढाई लाख रुपये वार्षिक है, जिससे ज़्यादा की आय होने पर आपकी आय करयोग्य हो जाती है, हालांकि अगर करदाता की करयोग्य आय सारे हिसाब-किताब के बाद 5 लाख रुपये से कम रहती है, तो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के अंतर्गत छूट देकर उसे करमुक्त कर दिया जाता है. फिलहाल उसी शख्स को इनकम टैक्स देना पड़ता है, जिसकी टैक्सेबल इनकम, यानी करयोग्य आय 5 लाख रुपये वार्षिक से अधिक होती है. सो, इस वर्ग का हर शख्स पिछले कुछ सालों से इसी उम्मीद में रहता है कि शायद इस बार करमुक्त आय की सीमा को ढाई लाख रुपये से बढ़ाया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं है.
इस साल वित्त विशेषज्ञों को उम्मीद है कि करमुक्त आय की सीमा को संभवतः बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया जा सकता है, जिससे आम आदमी को कुछ राहत मिल सकेगी. हर साल की तरह इस बार भी केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को वित्तवर्ष 2023-24 का आम बजट पेश करने जा रही हैं, और उम्मीद की जा रही है कि सरकार का फोकस बुनियादी ढांचे के विकास पर रहेगा, और वह आम आदमी को राहत देने वाली कुछ घोषणाएं भी कर सकती हैं.
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गोल्डमैन सैक्स ग्रुप के मुताबिक सरकार का पहला इरादा वित्तीय घाटे को कम करना रहेगा, और इसके लिए आगामी वित्तवर्ष के लिए वह अपने वित्तीय घाटे के लक्ष्य को 50 आधार अंक घटा सकती है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एंड्रयू टिल्टन और शांतनु सेनगुप्ता सहित गोल्डमैन के अर्थशास्त्रियों की लिखी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत नए वित्तवर्ष में अपने घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 प्रतिशत तक बनाए रखेगा. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, भारत की केंद्र सरकार पूंजीगत व्यय को बरकरार रखते हुए जनकल्याण योजनाओं में होने वाले खर्च को बढ़ाएगी, और इसके लिए ग्रामीण रोज़गार तथा आवासीय योजना पर फोकस किया जा सकता है.
इसके अलावा, गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि हर व्यक्तिगत करदाता को दी जाने वाली मूल कर छूट की ढाई लाख रुपये की सीमा को भी आगामी बजट में बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है. गौरतलब है कि इस सीमा से नीचे की आय वालों को इनकम टैक्स रिटर्न भरने की भी ज़रूरत नहीं होती, और इस सीमा में वर्ष 2014-15 के बाद से अब तक कोई बदलाव नहीं किया गया है.
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अगर ऐसा सचमुच हो जाता है, तो 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक आय वाले हर करदाता को इनकम टैक्स और उस पर लिए जाने वाले शिक्षा उपकर (4 प्रतिशत एजुकेशन सेस) को मिलाकर कम से कम 13,000 प्रतिवर्ष की बचत हो सकती है. वैसे, गौरतलब है कि जिन हिन्दुस्तानियों की करयोग्य आय ढाई लाख रुपये से ज़्यादा, लेकिन 5 लाख रुपये से कम रहती है, उन्हें अब भी कोई टैक्स नहीं देना पड़ता, क्योंकि उन्हें इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत छूट मिल जाती है. ढाई लाख से 5 लाख रुपये तक आय पर इनकम टैक्स फिलहाल सिर्फ उन्हीं लोगों को देना पड़ता है, जिनकी कुल करयोग्य आय 5 लाख रुपये से ज़्यादा होती है.
इसके अलावा, गौल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार वित्तवर्ष 2023-24 के आम बजट में मानक कटौती, यानी स्टैन्डर्ड डिडक्शन को भी मौजूदा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये कर सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बढ़ती जा रही कॉस्ट ऑफ लिविंग और बढ़ती मुद्रास्फीति, यानी महंगाई को ध्यान में रखते हुए मानक कटौती को दोगुना किया जाना चाहिए.
अगर सचमुच ऐसा होता है, तो हर करदाता को इसका लाभ भी मिलेगा. जिनकी करयोग्य आय अब तक 5,50,000 रुपये है, उन्हें भी धारा 87ए का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा, और उन्हें कुल मिलाकर 23,400 रुपये की बचत हो जाएगी (जिसमें ढाई लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की आय पर दिया जाने वाला 13,000 रुपये का आयकर और एजुकेशन सेस शामिल है). 5,50,000 रुपये से ज़्यादा आय वाले करदाता, जिनकी आय इनकम टैक्स के 20 या 30 प्रतिशत के ब्रैकेट में आती है, उन्हें मानक कटौती को बढ़ाकर दोगुना किए जाने की स्थिति में क्रमशः 10,400 रुपये या 15,600 रुपये का लाभ मिलेगा.
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