महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा (MGNREGA) के तहत मजदूरी भुगतान अब केवल आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम (एबीपीएस) के माध्यम से किया जाएगा. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी. इस बीच, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि यदि कुछ खास ग्राम पंचायतों के सामने ‘तकनीकी समस्याएं' हैं तो सरकार उन्हें छूट देने पर विचार कर सकती है.
यह कदम तब उठाया गया है जब कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर सबसे कमजोर तबके को उनके सामाजिक कल्याण लाभ से वंचित करने के लिए ‘प्रौद्योगिकी खासकर आधार को हथियार' के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.
मनरेगा लाभार्थियों के बैंक खातों में किया जाएगा सीधा भुगतान
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ भारत सरकार ने अकुशल श्रमिकों को मजदूरी भुगतान एबीपीएस (ABPS) के जरिए करने का फैसला किया है ताकि लाभार्थियों के बैंक खातों में भुगतान हो जाए और यह लाभार्थी द्वारा बार-बार बैंक खाते बदलने की स्थिति में भी होगा.लेकिन , यदि किसी ग्राम पंचायत के सामने तकनीकी समस्या है या आधार से संबंधित कोई दिक्कत है तो सरकार उसके समाधान तक मामले-दर-मामले के आधार पर उसे एबीपीएस से छूट देने पर विचार कर सकती है.''
नेशनल मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम ऐप के जरिये होगी निगरानी
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि कार्यस्थल पर कार्यरत लाभार्थियों की समय पर उपस्थिति ‘नेशनल मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम' ऐप के माध्यम से दर्ज की जा रही है तथा लाभार्थी और नागरिक श्रमिकों की असलियत की जांच कर सकते हैं. एबीपीएस श्रमिक के वित्तीय पते के रूप में 12 अंकों के आधार नंबर का उपयोग करता है. एबीपीएस-सक्षम भुगतान के लिए, एक श्रमिक के आधार विवरण को उसके जॉब कार्ड के साथ जोड़ा जाता है और आधार को श्रमिक के बैंक खाते से जोड़ा जाना चाहिए.
MGNREGA के तहत लगभग 14.28 करोड़ सक्रिय श्रमिक
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर आधार जनसांख्यिकी सत्यापन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, एक जनवरी के आंकड़े के अनुसार, मनरेगा (MGNREGA) के तहत लगभग 14.28 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं जिनमें अबतक 14.08 करोड़ श्रमिकों के आधार जोड़े जा चुके हैं. उनमें 13.76 करोड़ श्रमिकों के आधार का सत्यापन हो गया है, यानी 87.52 प्रतिशत श्रमिकों को आधार-आधारित भुगतान प्रणाली में परिवर्तित कर दिया गया है.
आधार लिंकिंग की वजह से जॉब कार्ड हटाने का खंडन
मंत्रालय ने कहा कि कुल 34.8 प्रतिशत रजिस्टर्ड श्रमिक और 12.7 प्रतिशत सक्रिय श्रमिक के अब भी एबीपीएस सक्षम नहीं हैं. क्योंकि एबीपीस उसी स्थिति में मान्य है जब पंजीकृत लाभार्थी दिहाड़ी रोजगार में तब्दील हो जाता है. सरकार ने यह भी खंडन किया कि जॉब कार्ड आधार लिंकिंग की वजह से हटा दिये गये.
मनरेगा के तहत एबीपीएस (Aadhaar enabled Payment system) के माध्यम से भुगतान अनिवार्य करने के लिए पिछले साल जनवरी में एक आदेश जारी किया गया था और सरकार ने पहले एक फरवरी की समय सीमा तय की थी.
कई राज्य श्रमिकों की आधार संख्या को जोड़ने में पिछड़े
हालांकि, इसे पिछले वर्ष में कई बार बढ़ाया गया था. समय सीमा को पहले 31 मार्च तक बढ़ाया गया, फिर 30 जून तक और फिर 31 अगस्त तक.अगस्त में समय सीमा को 31 दिसंबर तक बढ़ाया गया. सूत्रों के अनुसार, समयसीमा में आखिरी विस्तार इसलिए किया गया क्योंकि कई राज्य श्रमिकों की आधार संख्या को जोड़ने में पिछड़े हुए थे.