20 दिसंबर को संसद में एक सांसद ने यह सवाल किया कि आखिर क्यों 8 लाख रुपये तक की सालाना आय वाला परिवार गरीब माना जाता है जबकि आयकर देने की न्यूनतम छूट सीमा 2.5 लाख रुपये एक व्यक्ति के लिए रखी गई है. सांसद ने संसद में वित्तमंत्रालय से यह सवाल जरूर पूछा लेकिन देश को करोड़ों लोगों के मन में यह सवाल हमेशा से कौंधता रहता है. स्पष्ट जवाब कहीं से नहीं मिलता और अब इसका आधिकारिक जवाब तो मिल ही गया है. लोकसभा में वित्तराज्यमंत्री पंकज चौधरी ने सांसद सांसद पी भद्टाचार्य के प्रश्न का उत्तर दिया है और समझाया है कि दोनों भिन्न हैं और गणना का तरीका भी भिन्न है.
पी भट्टाचार्य ने संसद में प्रश्न किया था कि क्या वित्त मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि
(क) एक सरकारी अधिसूचना को ध्यान में रखते हुए कि 8 लाख रुपये सालाना आय वाले व्यक्ति/ परिवार को गरीब माना जाता है तो क्या यह उचित है कि 2.5 लाख रुपये वार्षिक आय वाले व्यक्ति को आयकर का भुगतान करने के लिए कहा जाए
(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके कारण क्या हैं?
वित्तमंत्रालय में राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने जवाब में कहा -
(क) और (ख) - सरकार द्वारा सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग EWS समूह के लिए आरक्षण का लाभ लेने के लिए सभी स्रोतों से परिवार की वार्षिक आय सीमा 8 लाख रुपये निर्धारित की गई है. ईडब्ल्यूएस श्रेणी में अर्हता प्राप्त करने के लिए 8 लाख रुपये की यह सीमा एक सकल आय सीमा है जिसमें आयकर अधिनियम के तहत मूल छूट सीमा जो कि एकल व्यक्ति के लिए लागू होती है, के विपरीत परिवार के सभी सदस्यों को सभी स्रोतों से प्राप्त होने वाली आय को शामिल करती है.
इसके अतिरिक्त, यह भी नोट किया जा सकता है कि सभी स्रोतों से सकल पारिवारिक आय में कुछ निश्चित आय भी शामिल हो सकती है जो आयकर अधिनियम के प्रावधानों के तहत छूट प्राप्त है, उदाहरण के लिए, कृषि संबंधी आय है. यह नोट करना प्रासंगिक हो सकता है कि वित्त अधिनियम, 2019 के तहत आयकर अधिनियम की धारा 87क को 5 लाख रुपये तक की कुल आय वाले व्यक्तियों को 100 प्रतिशत कर छूट प्रदान करने के लिए संशोधित किया गया था. इसलिए आयकर अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के अंतर्गत 5 लाख रुपये तक की कुल आय वाले व्यक्ति को कुछ भी आयकर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है.
यह भी नोट किया जा सकता है कि 5 लाख से अधिक आय वाले व्यक्ति भी आयकर अधिनियम के तहत प्रदान किए गए कई प्रोत्साहनों और कटौतियों का लाभ उठा सकते हैं जिससे उनकी वह कुल आय कम हो जाती है जिस पर कर देय होता है, इसलिए 8 लाख रुपये की वार्षिक आय अर्जित करने वाला व्यक्ति भी आयकर अधिनियम के तहत उपलब्ध कटौतियों का लाभ उठा सकता है और अपनी कुल आय को उस आय से कम दिखा सकता है जिस पर कर देय है.
जैसा कि उपरोक्त से स्पष्ट है, आयकर अधिनियम के तहत प्रदान की गई मूल छूट सीमा और ईडब्ल्यूएस समूह में वर्गीकरण के लिए सीमा आय की तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि दोनों की गणना अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अलग-अलग तरीके से की जाती है.