Blogs | Dharmendra Singh |गुरुवार जून 30, 2016 06:25 PM IST 'समता के असली मुद्दे की पहचान' यही नागार्जुन की कविताओं की खोज है। यही हम सभी की खोज है उनकी कविताओं में चुटीला व्यंग है। कबीर के बाद जो व्यंग गद्य में परसाईं जी के लेखों में विद्यमान है, वही कविता में नागार्जुन के यहाँ मौजूद है।