India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |गुरुवार अप्रैल 6, 2017 10:37 PM IST शिक्षा को प्रोत्साहित करने, बाल मजदूरों और अभावग्रस्त परिवारों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए स्कूलों में मध्याह्न भोजन देने की व्यवस्था की गई है लेकिन वास्तव में यह योजना अपने उद्देश्य में अपेक्षा के अनुरूप सफल नहीं हो रही है. यह बात गुरुवार को स्वयं मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्वीकार की. जावड़ेकर ने माना कि बहुत से स्कूल केवल मध्याह्न भोजन विद्यालय बनकर रह गए हैं क्योंकि शिक्षा का अधिकार कानून पारित होने के बाद बच्चे कुछ खास कक्षाओं तक में फेल नहीं होते. उन्होंने राज्यसभा में पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि ‘‘यह स्कूल केवल आने, खाने और जाने तक सीमित रह गए हैं.’’