Blogs | मंगलवार मई 26, 2015 11:16 AM IST ग़रीब, ग़रीब, ग़रीब इतनी बार ग़रीब कि लगा कि कोई ग़रीबों को ढूंढ रहा है यह बताने के लिए कि उसे धन्ना सेठों से कोई मोहब्बत नहीं है। पूरे भाषण में धन्ना सेठ, फैक्ट्री वाले और सत्ता के गलियारे में पहुंच रखने वाले उद्योगपति ख़लनायक की तरह उभरते हैं।