Zara Hatke | Translated by: विवेक रस्तोगी |बुधवार जनवरी 11, 2017 01:40 PM IST वह हर रोज़ छह-छह घंटे अपनी कुदाली लेकर उस पठार को तोड़ने में जुटा रहता, जिस पर से चढ़कर लोगों को जाना पड़ता था... उसकी इस अविश्वसनीय इच्छाशक्ति का परिणाम यह रहा कि अब वहां 200-मीटर की एक कच्ची सड़क है, जो इतनी चौड़ी है कि छोटे वाहन आराम से वहां से गुज़र सकते हैं...