रविवार का दिन हर किसी के लिए आराम का होता है. हर कोई चाहता है कि इस छुट्टी के दिन पूरे दिन की थकान मिटा दी जाए ताकि आने वाले हफ्ते में एनर्जी के साथ काम किया जा सके. फैमिली के साथ समय बिताना और खूब एंजॉय करना होता है. आज के समय में तो ओटीटी प्लेटफॉर्म आ गए हैं. जिन पर जब मन करे आप फिल्म या वेब सीरीज देख सकते हो. मगर पहले ऐसा नहीं होता था. 80 के दशक में लोग रविवार का इंतजार करते थे ताकि दूरदर्शन पर पूरे दिन अपने फेवरेट शोज और फिल्म देख सकें. अगर आप भी उस दौर के हैं तो आपकी पुरानी यादें ताजा कर देते हैं.
1989 में रविवार होता था ऐसा
1989 में रविवार स्पेशल होता था. सुबह 7 बजे से लोग टीवी के आगे बैठ जाते थे. सुबह 7 बजे पहले हिंदी समाचार आते थे. उसके बाद 7:30 बजे हीमैन आता था. जिसे बच्चे बहुत ही खुशी से देखते थे. उसके बाद 8 बजे रंगोली आती थी. जिसमें हिंदी फिल्मों के गाने लोग सुनते थे. उसके बाद साढ़े 8 बजे द स्पेस सिटी ऑफ सिगमा आता था. उसके बाद 9 बजे महाभारत आती थी. जिसके लोग आज भी दीवाने हैं. बच्चे हों या बूढ़े हर कोई साथ मिलकर महाभारत देखते थे. उसके बाद 10 बजे फिर वोही तलाश शो आता था.
ऐसा होता था संडे
उसके बाद सुबह 10:30 बजे नींव शो आता था. 11 बजे विश्वामित्र आता था. जिसे देखने के लिए बच्चे बहुत उतावले रहते थे. उसके बाद थोड़ी देर का ब्रेक होता था और 1 बजे न्यूज आती थी. इतनी देर में लोग अपना काम निपटाकर फ्री हो जाते थे और फिर 1:30 बजे रीजनल फिल्म देखने बैठ जाते थे. जो रविवार की दोपहर का बेस्ट एंटरटेनमेंट होता था. उसके बाद शाम को एक बार और फिल्म आती थी. 5:45 बजे हिंदी फीचर फिल्म आती थी. जिसे देखने का हर कोई इंतजार करता था. उसके बाद रात 9:30 बजे स्ट्रीट हॉक आता था और आखिरी में रात 10 बजे इंग्लिश फीचर फिल्म आती थी.
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