
Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah: "हजारों मील की यात्रा हमेशा एक पहले कदम से शुरू होती है " लाओ तज़ु ने ये सुनहरे शब्द कहे थे और असित कुमार मोदी ने ये पहला कदम 11 साल पहले 28 जुलाई 2008 को लिया था. उसी दिन उन्होंने अपना शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) का प्रसारण सब टीवी पर शुरू किया था. शो के क्रिएटर असित कुमार मोदी का कहना है कि क्रियात्मक लोगों के लिए उनका शो या फिल्म एक बच्चे की तरह होता है. और अपने बच्चे की सफलता को देखना सबसे सुखद और खूबसूरत अनुभव होता है. मेरे लिए तारक मेहता का उल्टा चश्मा उसी बच्चे की तरह है जिसकी सफलता जहां मुझे अचम्भे में डालती है वहीं उस सफलता का एक हिस्सा बनना मेरी खुशी और गर्व को दुगना कर देता है. आज तारक मेहता का उल्टा चश्मा अपने 12वें साल में जा रहा है, इस बात की जितनी खुशी मुझे है उसे मैं शब्दों में बयान भी नहीं कर सकता.
तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) के निर्माता असित मोदी का कहना है कि हमारे दर्शकों ने ना केवल शो को पसंद किया है बल्कि वे इस शो के परिवार का हिस्सा बन चुके हैं. मेरे कलाकार इन किरदारों को जी भी रहे हैं और उसे एन्जॉय भी कर रहे हैं. मेरी टेक्निकाल टीम एक मजबूत लोहे के खम्भे की तरह मेरे साथ खड़ी रही है. कोई भी ऐसा ट्रैक नहीं है, ऐसा कोई एसोसिएशन नहीं है और न ही ऐसी कोई घटना है जिसका मुझे पछतावा हो. भगवान बहुत ही उदार ह्रदय है. मैं अपने प्रशंसकों और आलोचकों दोनों को ही तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं हमें एक पारिवारिक मूल्यों वाला मनोरंजक शो बनाने के लिए."
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तारक मेहता का उल्टा चश्मा एक दैनिक कॉमेडी शो के रूप में इतना सफल हो गया कि "आज के दिन हमने कहानी सुनाने की एक नई कला को रूप दिया, एक ऐसी कला जो रोज लोगों को हंसाने का काम करने लगी," असित ने बताया. ये बात समझने वाली है कि 99 प्रतिशत कलाकार और टेक्निकल टीम शो के शुरुआत से ही इसके साथ हैं. यहां तक कि दर्शकों की निष्ठा भी लगातार साथ रही है.
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दिलीप जोशी जी का कहना है कि क्या हम सच में 12वें साल में जा रहे हैं? ये कल जैसा ही लगता है जब इस शो की शुरुआत हुई थी. किस को अंदाजा था कि जेठालाल का किरदार इतना बड़ा हो जायेगा? ये पूरी यात्रा एक बहुत ही सुखद अनुभव रहा है जहां सभी कलाकार और टेक्निकल टीम एक बहुत बड़े संयुक्त परिवार की तरह हो गए हैं. स्वाभाविक है कि हमें समय के गुजर जाने का आभास तक नहीं हुआ है. तारक मेहता का उल्टा चश्मा न केवल दर्शकों का बल्कि सभी कलाकारों तक का सजग साथी बन चुका है.
शो के क्रिएटर असित कुमार मोदी ने कहा कि एक अनरीयलिस्टिक परिस्थितियों वाला विचारहीन शो बनाने की बजाय तारक मेहता का उल्टा चश्मा ने ऐसी कहानियां दिखाईं जो साफ़ सुथरे ह्यूमर के साथ में सामाजिक मूल्यों पर जोर देती रहीं. पानी का बचाव, खेल के मैदान को बचाना, लड़कियों के जीवन की रक्षा और उनका सम्मान, स्वच्छ भारत, सैनिकों के प्रति सम्मान, इत्यादि जैसे बहुत सारे विषयों पर ट्रैक्स चले हैं और उनका संभावित सुझाव भी कहानी के माध्यम से दिया गया है. पर तारक मेहता का उल्टा चश्मा का हर एपिसोड एक हैप्पीसोड रहा है जिसने खुशियां और हंसी ही बांटी है" और हम आगे भी हंसी और मुस्कुराहटें ही बांटते रहेंगे,"
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