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This Article is From Sep 04, 2020

The Kapil Sharma Show: अमिताभ भट्टाचार्य ने किया खुलासा, ऐसे लिखा था 'ऐ दिल है मुश्किल' सॉन्ग

द कपिल शर्मा शो (The Kapil Sharma Show) में इस वीकेंड स्वानंद किरकिरे, मनोज मुंतशिर और अमिताभ भट्टाचार्य (Amitabh Bhattacharya) जैसे अवार्ड विजेता गीतकारों का स्वागत किया जाएगा.

The Kapil Sharma Show: अमिताभ भट्टाचार्य ने किया खुलासा,  ऐसे लिखा था 'ऐ दिल है मुश्किल' सॉन्ग
द कपिल शर्मा शो (The Kapil Sharma Show)
नई दिल्ली:

द कपिल शर्मा शो (The Kapil Sharma Show) में इस वीकेंड स्वानंद किरकिरे, मनोज मुंतशिर और अमिताभ भट्टाचार्य (Amitabh Bhattacharya) जैसे अवार्ड विजेता गीतकारों का स्वागत किया जाएगा. तो आप भी कपिल शर्मा के साथ यह दिलचस्प चर्चा देखने के लिए तैयार हो जाइए, जहां ये सभी गीतकार अपने सफर के बारे में कुछ अनसुने किस्से और बहुत-सी बातें बताएंगे. इस दौरान पता चला कि अमिताभ भट्टाचार्य शुरू में एक काल्पनिक नाम से गाने लिखते थे. जब कपिल शर्मा (Kapil Sharma) ने इस बारे में जानना चाहा तो अमिताभ ने बताया, “मैं यहां सिंगर बनने आया था और मुझे लगा कि अगर मैं लिरिक्स में अपना नाम दूंगा तो कहीं सिंगिंग का काम मिलने से ना रह जाए। मैं 90 के दशक के अंतिम वर्षों की बात कर रहा हूं, जब मैं यहां आया था। फिर धीरे-धीरे दौर बदला और लोग टैलेंट को स्वीकार करने और उसे बढ़ावा देने लगे.”

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आगे एक दिलचस्प बात पता चली. वैसे तो हम सभी ने ‘ऐ दिल है मुश्किल' (Ae Dil Hai Mushkil) का सुपरहिट टाइटल गाना बहुत एंजॉय किया है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ये गाना कैसे बना. यह अमिताभ भट्टाचार्य (Amitabh Bhattacharya) ने लिखा था, जिसे प्रीतम ने कंपोज किया और अरिजीत सिंह ने गाया. हुआ यूं कि इस फिल्म के प्रोड्यूसर को दिखाने से कुछ देर पहले तक यह गाना लिखा ही नहीं गया था. जब कपिल ने इस बारे में पूछा तो अमिताभ ने बताया, “प्रीतम दा के साथ होता यह है कि शाम को 6 बजे मीटिंग है तो वो कभी-कभी 5 बजे भी धुन दे देते हैं. तो धर्मा प्रोडक्शन के साथ हमारी मीटिंग थी और मैं सुबह से ही प्रीतम दा के संपर्क में था.

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 मैं कह रहा था- दादा शाम को प्रेजेंटेशन देना है, आप धुन दे दो, मैं कुछ तो रफली लिख लूं. आखिरी तक वो मुझसे यही कहते रहे कि कुछ बना रहा हूं, मैं कुछ सोच रहा हूं, मैं दे रहा हूं वगैरह-वगैरह. जब हम मीटिंग के लिए निकले और जैसे ही कार में बैठे, तभी उन्होंने मुझे यह धुन दी. मुझे बताया गया कि यह फिल्म का टाइटल सॉन्ग रहने वाला है और इसमें बहुत शिद्दत होनी चाहिए. ओशिवारा से खार तक मैं उनकी कार की पिछली सीट पर बैठकर लिखता रहा और सौभाग्य से इसमें लय भी बन गई. ऊपर वाले की कृपा से ये गाना जैसा लिखा गया था, वैसा ही स्वीकृत हो गया.”

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