फिल्म 'न्यूटन' के एक सीन में पंकज त्रिपाठी और राजकुमार राव.
डायरेक्टरः अमित मसुरकर
कलाकारः राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, अंजली पाटिल, रघुबीर यादव
रेटिंगः 4 स्टार
राजकुमार राव तेजी के साथ अपने पीढ़ी के कलाकारों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं. हर फिल्म के साथ वे एक्टिंग की कुछ पायदानों की छलांग लगा जाते हैं. कुछ दिन पहले ही उनकी ‘बरेली की बर्फी’ आई थी, और फिल्म हिट रही थी. इसमें सबसे सशक्त कैरेक्टर राजकुमार राव का ही था और उनकी काफी तारीफ भी हुई थी. आज उनकी ‘न्यूटन’ भी रिलीज हो गई है. ‘न्यूटन’ का नूतन कुमार दिल में उतर जाता है और सिद्ध कर देता है कि राजकुमार एक प्योर एक्टर हैं. वे विषय आधारित फिल्में चुन रहे हैं और हर रोल को मंजे हुए ढंग से निभा रहे हैं. ‘न्यूटन’ में वे एक सरकारी कर्मचारी के रोल में हैं जो रूल बुक के मुताबिक चलता है. जिसके कुछ ऊसूल हैं और वे किसी भी कीमत पर उनको फॉलो करने में यकीन करता है. तभी तो वह 18 साल की कम उम्र की लड़की से शादी करने से इनकार कर देता है और चुनाव ड्यूटी पर ताश खेलने वाले अधिकारी को हड़का देता है. फिल्म कहानी की नजर से मजबूत है. एक्टिंग के लिहाज से मलाई जैसी है. इस तरह न्यूटन छोटी लेकिन बड़े दिल वाली फिल्म है. आइए जानते हैं हमें क्यों देखनी चाहिए ‘न्यूटन’:
यह भी पढ़ें: आखिर माजरा क्या है...? राजकुमार राव 'न्यूटन' के पोस्टर में लेकर भाग रहे हैं ईवीएम मशीन!
जानी-पहचानी नई कहानी
इलेक्शन और वोटिंग जैसे मुद्दे को बहुत ही सीधे-सादे लेकिन गहरे अंदाज में उठाया गया है. न्यूटन की ड्यूटी नक्सल प्रभावित इलाके में लगती है और वह हर काम कायदे से करना चाहता है. अगर आप नए ढंग की कहानी देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए ही है क्योंकि यह फिल्म ऐसे विषय और जगह की बात करती है, जहां तक हमारी पहुंच उस तरह से नहीं है या फिर हम इस पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहते हैं.
दिल को छू लेने वाले डायलॉग
‘न्यूटन’ के इन दो डायलॉग पर जरा गौर फरमाइएः “मां-बाप ने नूतन कुमार नाम रखा था तो सब लोग बहुत मजाक उड़ाते थे तो मैंने टेंथ के फॉर्म में‘नू’ का ‘न्यू’ और ‘तन’ का ‘टन’ कर दिया.” “मेरे से भी पहले बहुत पहले एक न्यूटन था. पढ़ाई करे वक्त उसकी बात कभी समझ नहीं आई पर अब काम करते वक्त आ रही है कि जब तक कुछ नहीं बदलोगे न दोस्त तो कुछ नहीं बदेलगा.” फिल्म इसी तरह के हल्के-फुल्के लेकिन गहरे संवादों से भरी पड़ी है. बहुत ही प्यार से गहरी बात कह जाना फिल्म की खासियत है. इस वजह से इलेक्शन जैसा गंभीर विषय और भी मारक बन पड़ा है.
यह भी पढ़ें: पहले फिल्मों के लिए भटकते थे राजकुमार राव, अब पसंद आई तो चुनते हैं...
स्टार नहीं कलाकारों की फिल्म
राजकुमार राव एक्टिंग के उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं, जहां उन्हें छू पाना उनके दौर के एक्टरों के बस की बात नहीं है. ईमानदार न्यूटन के किरदार में इतनी ग्रैविटी है कि वह आपको अपनी ओर खींच लेगा. वे कैरेक्टर के अंदर घुसकर उसे बाहर निकालना जानते हैं. न्यूटन उनकी बेहतरीन एक्टिंग की वजह से भी मस्ट वॉच फिल्म बन जाती है. फिर पंकज त्रिपाठी, रघुवीर यादव और अंजलि पाटील जैसे किरदार फिल्म को कंप्लीट करने का काम करते हैं. अपने लोग, अपनी बात
छत्तीसगढ़ के जंगल और वहां नक्सलियों का खौफ. ये ऐसी चीज है जिसे हम अक्सर खबरों में ही सुनते हैं. ऐसे में फिल्म के जरिये देश के सबसे बड़े तमाशे चुनाव और दूर दराज रहने वाले लोगों की जिदंगी को इसमें दिखाया गया है. यही नहीं, सरकारी मशीनरी पर भी तीखे अंदाज में तंज कसा गया है और सिक्योरिटी फोर्सेज के पक्ष को भी दिखाने की कोशिश की गई है. ये सारे पहलू काबिलेतारीफ हैं. फिल्म कहानी, एंटरटेनमेंट और मैसेज तीनों ही समेटे हुए है.
यह भी पढ़ें: बर्लिन फिल्म महोत्सव में होगा राजकुमार राव की फिल्म ‘न्यूटन’ का वर्ल्ड प्रीमियर
बजट का भी बोझ नहीं
फिल्म का बजट लगभग 5-8 करोड़ रु. के बीच बताया जाता है. फिल्म दुनिया भर के फिल्म फेस्टिवल्स में पहले ही सुर्खियां बटोर चुकी है. ऐसे में इस पर बजट का कोई बहुत ज्यादा बोझ नहीं है. फिल्म को मिलने वाले पॉजिटिव रिव्यू और वर्ड ऑफ माउथ इसके लिए फायदेमंद रहेंगे.
VIDEO: फिल्म 'न्यूटन' के अभिनेता राजकुमार राव से खास बातचीत
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
कलाकारः राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, अंजली पाटिल, रघुबीर यादव
रेटिंगः 4 स्टार
राजकुमार राव तेजी के साथ अपने पीढ़ी के कलाकारों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं. हर फिल्म के साथ वे एक्टिंग की कुछ पायदानों की छलांग लगा जाते हैं. कुछ दिन पहले ही उनकी ‘बरेली की बर्फी’ आई थी, और फिल्म हिट रही थी. इसमें सबसे सशक्त कैरेक्टर राजकुमार राव का ही था और उनकी काफी तारीफ भी हुई थी. आज उनकी ‘न्यूटन’ भी रिलीज हो गई है. ‘न्यूटन’ का नूतन कुमार दिल में उतर जाता है और सिद्ध कर देता है कि राजकुमार एक प्योर एक्टर हैं. वे विषय आधारित फिल्में चुन रहे हैं और हर रोल को मंजे हुए ढंग से निभा रहे हैं. ‘न्यूटन’ में वे एक सरकारी कर्मचारी के रोल में हैं जो रूल बुक के मुताबिक चलता है. जिसके कुछ ऊसूल हैं और वे किसी भी कीमत पर उनको फॉलो करने में यकीन करता है. तभी तो वह 18 साल की कम उम्र की लड़की से शादी करने से इनकार कर देता है और चुनाव ड्यूटी पर ताश खेलने वाले अधिकारी को हड़का देता है. फिल्म कहानी की नजर से मजबूत है. एक्टिंग के लिहाज से मलाई जैसी है. इस तरह न्यूटन छोटी लेकिन बड़े दिल वाली फिल्म है. आइए जानते हैं हमें क्यों देखनी चाहिए ‘न्यूटन’:
यह भी पढ़ें: आखिर माजरा क्या है...? राजकुमार राव 'न्यूटन' के पोस्टर में लेकर भाग रहे हैं ईवीएम मशीन!
जानी-पहचानी नई कहानी
इलेक्शन और वोटिंग जैसे मुद्दे को बहुत ही सीधे-सादे लेकिन गहरे अंदाज में उठाया गया है. न्यूटन की ड्यूटी नक्सल प्रभावित इलाके में लगती है और वह हर काम कायदे से करना चाहता है. अगर आप नए ढंग की कहानी देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए ही है क्योंकि यह फिल्म ऐसे विषय और जगह की बात करती है, जहां तक हमारी पहुंच उस तरह से नहीं है या फिर हम इस पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहते हैं.
दिल को छू लेने वाले डायलॉग
‘न्यूटन’ के इन दो डायलॉग पर जरा गौर फरमाइएः “मां-बाप ने नूतन कुमार नाम रखा था तो सब लोग बहुत मजाक उड़ाते थे तो मैंने टेंथ के फॉर्म में‘नू’ का ‘न्यू’ और ‘तन’ का ‘टन’ कर दिया.” “मेरे से भी पहले बहुत पहले एक न्यूटन था. पढ़ाई करे वक्त उसकी बात कभी समझ नहीं आई पर अब काम करते वक्त आ रही है कि जब तक कुछ नहीं बदलोगे न दोस्त तो कुछ नहीं बदेलगा.” फिल्म इसी तरह के हल्के-फुल्के लेकिन गहरे संवादों से भरी पड़ी है. बहुत ही प्यार से गहरी बात कह जाना फिल्म की खासियत है. इस वजह से इलेक्शन जैसा गंभीर विषय और भी मारक बन पड़ा है.
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स्टार नहीं कलाकारों की फिल्म
राजकुमार राव एक्टिंग के उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं, जहां उन्हें छू पाना उनके दौर के एक्टरों के बस की बात नहीं है. ईमानदार न्यूटन के किरदार में इतनी ग्रैविटी है कि वह आपको अपनी ओर खींच लेगा. वे कैरेक्टर के अंदर घुसकर उसे बाहर निकालना जानते हैं. न्यूटन उनकी बेहतरीन एक्टिंग की वजह से भी मस्ट वॉच फिल्म बन जाती है. फिर पंकज त्रिपाठी, रघुवीर यादव और अंजलि पाटील जैसे किरदार फिल्म को कंप्लीट करने का काम करते हैं.
छत्तीसगढ़ के जंगल और वहां नक्सलियों का खौफ. ये ऐसी चीज है जिसे हम अक्सर खबरों में ही सुनते हैं. ऐसे में फिल्म के जरिये देश के सबसे बड़े तमाशे चुनाव और दूर दराज रहने वाले लोगों की जिदंगी को इसमें दिखाया गया है. यही नहीं, सरकारी मशीनरी पर भी तीखे अंदाज में तंज कसा गया है और सिक्योरिटी फोर्सेज के पक्ष को भी दिखाने की कोशिश की गई है. ये सारे पहलू काबिलेतारीफ हैं. फिल्म कहानी, एंटरटेनमेंट और मैसेज तीनों ही समेटे हुए है.
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बजट का भी बोझ नहीं
फिल्म का बजट लगभग 5-8 करोड़ रु. के बीच बताया जाता है. फिल्म दुनिया भर के फिल्म फेस्टिवल्स में पहले ही सुर्खियां बटोर चुकी है. ऐसे में इस पर बजट का कोई बहुत ज्यादा बोझ नहीं है. फिल्म को मिलने वाले पॉजिटिव रिव्यू और वर्ड ऑफ माउथ इसके लिए फायदेमंद रहेंगे.
VIDEO: फिल्म 'न्यूटन' के अभिनेता राजकुमार राव से खास बातचीत
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