प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:
इस शुक्रवार रिलीज हुई फिल्म 'मुजफ्फरनगर-द बर्निंग लव' की कहानी 2013 में यूपी के शहर में हुए मुजफ्फरनगर दंगे से प्रेरित है. फिल्म में यह दिखाया गया है कि शहर में हर धर्म के लोग एक दूसरे से मिल जुलकर रहते हैं. मुजफ्फरनगर की रहने वाली एक लड़की के साथ हुए छेड़छाड़ के बाद कत्ल को कुछ नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए दबंगों के सहारे से इसे दंगे का रूप दे दिया. इस घटना में कई बेगुनाहों के खून बहे.
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फिल्म में दिखाया गया है कि शहर में किस तरह भड़के दंगों में हिंदुओं ने मुसलमान को बचाया और मुसलमानों ने हिंदुओं को बचाने के लिए मस्जिद में पनाह दी. धर्म के नाम पर आपस में लड़ा कर दोनों धर्मों के नेता एक साथ बैठकर अपनी अपनी रोटियां सेंकते नजर आए. हालांकि मुजफ्फरनगर में हुए दंगे की सच्चाई क्या है इसपर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती. लेकिन एक फिल्म के लिहाज से कहानी की बात करें तो दर्शकों को यह दिखेगा कि राजनीति में नेता अपने फायदे के लिए दो धर्मों के लोगों लड़ाते हैं और एक-दूसरे का खून बहाते हैं. फिल्म के कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया है.
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फिल्म की स्क्रिप्ट काफी कमजोर दिखी. यह कहानी मुजफ्फरनगर दंगे से प्रेरित दिखती है, लेकिन जमीन, माफिया, प्यार और भ्रष्ट सिस्टम समेत कई मुद्दों में स्टोरी को उलझा दिया गया है. हालांकि फिल्म लोगों को बांधे रखने में सफल हुई है लेकिन बिना मतलब के गानों का बीच में आना खटकता है. इस फिल्म का क्लाइमेक्स काफी उलझा हुआ है. 'मुजफ्फरनगर-द बर्निंग लव' को किसी अच्छे सिनेमा की श्रेणी में नहीं रख सकते, लेकिन इतना जरूर है कि यह फिल्म एक संदेश देती है.
रेटिंग: 2 स्टार
डायरेक्टर: हरीश कुमार
कलाकार: एश्वर्या देवन, देव शर्मा, अनिल जॉर्ज
VIDEO: फिल्म रिव्यू : 'मुज़फ्फरनगर - द बर्निंग लव' की स्क्रिप्ट है कमजोर
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फिल्म में दिखाया गया है कि शहर में किस तरह भड़के दंगों में हिंदुओं ने मुसलमान को बचाया और मुसलमानों ने हिंदुओं को बचाने के लिए मस्जिद में पनाह दी. धर्म के नाम पर आपस में लड़ा कर दोनों धर्मों के नेता एक साथ बैठकर अपनी अपनी रोटियां सेंकते नजर आए. हालांकि मुजफ्फरनगर में हुए दंगे की सच्चाई क्या है इसपर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती. लेकिन एक फिल्म के लिहाज से कहानी की बात करें तो दर्शकों को यह दिखेगा कि राजनीति में नेता अपने फायदे के लिए दो धर्मों के लोगों लड़ाते हैं और एक-दूसरे का खून बहाते हैं. फिल्म के कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया है.
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फिल्म की स्क्रिप्ट काफी कमजोर दिखी. यह कहानी मुजफ्फरनगर दंगे से प्रेरित दिखती है, लेकिन जमीन, माफिया, प्यार और भ्रष्ट सिस्टम समेत कई मुद्दों में स्टोरी को उलझा दिया गया है. हालांकि फिल्म लोगों को बांधे रखने में सफल हुई है लेकिन बिना मतलब के गानों का बीच में आना खटकता है. इस फिल्म का क्लाइमेक्स काफी उलझा हुआ है. 'मुजफ्फरनगर-द बर्निंग लव' को किसी अच्छे सिनेमा की श्रेणी में नहीं रख सकते, लेकिन इतना जरूर है कि यह फिल्म एक संदेश देती है.
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