राजस्थान: राज्यपाल ने 'ट्रेजरी सिस्टम' हटाने की योजना पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार से मौजूदा 'ट्रेजरी सिस्टम' के स्थान पर 'पे एण्ड अकाउंट ऑफिस सिस्टम' लागू करने के संबंध में जानकारी मांगी है.

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राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार से मौजूदा 'ट्रेजरी सिस्टम' के स्थान पर 'पे एण्ड अकाउंट ऑफिस सिस्टम' लागू करने के संबंध में जानकारी मांगी है. राज्यपाल ने राज्य सरकार के स्तर पर विभिन्न आयोगों के गठन और इन संस्थाओं में पदाधिकारियों की नियुक्ति में कथित रूप से प्रक्रियाओं का पालन नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है.

मिश्र ने इन मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दो अलग-अलग पत्र भेजकर जानकारी मांगी है. उन्होंने 'पे एण्ड अकाउंट ऑफिस सिस्टम' के मुद्दे पर उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से मिले पत्र की प्रति भी संलग्न की. राज्यपाल की ओर से यह पत्र ऐसे समय में लिखा गया है जब राज्य सरकार मौजूदा 'ट्रेजरी सिस्टम' को समाप्त करने पर विचार कर रही है. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने राज्य को आगाह किया है कि नयी व्यवस्था लागू करने से निकट भविष्य में सरकारी खातों के संकलन, तैयारी और रिपोर्टिंग में बाधा आएगी.

राजस्थान सरकार को कड़े शब्दों में लिखे पत्र में कैग कार्यालय ने कहा, 'संविधान के तहत मौजूदा योजना में कोई भी बदलाव और इस संबंध में संसदीय अधिनियमन के लिए राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति और कैग के परामर्श की आवश्यकता होगी.' राजभवन द्वारा जारी बयान के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखकर वर्तमान में लागू 'ट्रेजरी सिस्टम' के स्थान पर 'पे एंड अकाउंट ऑफिस सिस्टम' लागू करने के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है.

बयान के अनुसार पत्र में राज्यपाल ने वर्तमान में लागू 'ट्रेजरी सिस्टम' के स्थान पर 'पे एंड अकाउंट ऑफिस' सिस्टम के संबंध में उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से प्राप्त पत्र की प्रति भेजकर संविधान के अनुच्छेद 150 एवं डी.पी.सी. एक्ट 1971 के सेक्शन 10 के संदर्भ में विस्तृत जांच कर राज्य सरकार की योजना से अवगत कराने के भी निर्देश दिए हैं.

एक अन्य पत्र में मिश्र ने नियुक्ति प्रक्रियाओं का पालन नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है. इसके अनुसार राज्यपाल ने राज्य सरकार के स्तर पर विभिन्न आयोगों, निगमों, बोर्ड के गठन और इन संस्थाओं में पदाधिकारियों की नियुक्ति में संबंधित अधिनियम एवं नियमावली में दर्ज नियुक्ति प्रक्रिया का पालन नहीं किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने इस संबंध में गहलोत को स्थिति स्पष्ट करने के भी निर्देश दिए हैं.

उन्होंने इस संबंध में हाल में जारी नियुक्ति आदेशों में राजभवन स्तर पर किसी प्रकार का कोई अनुमोदन प्राप्त किए बगैर नियुक्ति आदेश जारी किए जाने पर भी नाराजगी जताई है. बयान के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने मुख्यमंत्री गहलोत को लिखे पत्र में इसे गंभीरता से लेने और प्रकरण में स्थिति स्पष्ट किए जाने के निर्देश दिए हैं.

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उल्लेखनीय है कि 2020 में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत के कारण राज्य में राजनीतिक संकट के दौरान विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राजभवन और राज्य सरकार के बीच गतिरोध बना रहा था. राज्य सरकार 'जल्द' सत्र बुलाना चाहती थी लेकिन राज्यपाल ने कैबिनेट के प्रस्ताव को तीन बार यह कहते हुए ठुकरा दिया कि सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस देना जरूरी है.

चौथे प्रस्ताव पर राज्यपाल ने 14 अगस्त 2020 से सत्र बुलाने के लिए स्वीकार कर लिया. संशोधित प्रस्ताव में 21 दिन के नोटिस की शर्त को पूरा किया गया था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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