भारतीय चेस का गोल्डन जेनेरेशन एक और इतिहास रचने की दहलीज़ पर है. शतरंज के इतिहास में ये पहला मौक़ा है जब फाइनल से पहले ही किसी भारतीय खिलाड़ी का चैंपियन बनना तय है. शनिवार से जॉजिया के बाटुमी शहर में शुरू हो रहे फिडे वीमेंस चेस विश्व कप फाइनल मुकाबले में दो भारतीय खिलाड़ी दिव्या देशमुख और अनुभवी दिग्गज कोनेरू हंपी आपस में भिड़ने जा रही हैं. चलिए कुछ खास बातों के बारे में जान लीजिए
19 साल की दिव्या VS 38 साल की कोनेरू हंपी
जॉर्जिया के बातूमि में चल रहे (5-29 जुलाई) FIDE वर्ल्ड कप के फाइनल में दो ऐसी भारतीय खिलाड़ियों की टक्कर है जो
उम्र में एक-दूसरे से दोगुनी हैं, लेकिन टैलेंट और हुनर में दोनों का कोई सानी नहीं है. नागपुर की 19 साल की इंटरनेशनल मास्टर IM दिव्या देशमुख ने चीन की बेहतर रैंकिंग वाली टैन झोंगयि को हराकर (1.5 प्वाइंट- 0.5 प्वाइंट) टूर्नामेंट के फाइनल में कदम रखा और इतिहास रच दिया.
फाइनल तक का मुश्किल सफ़र
जबकि भारत की सबसे कम उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने वाली 38 साल की ग्रैंडमास्टर GM कोनेरू हंपी ने को टॉप रैंकिंग वाली एक और चीनी खिड़ी लेई टिंग्जे के खिलाफ टाईब्रेकर में 5-3 से जीत हासिल कर फाइनल में जगह बनाई. कोनेरू हंपी ने जीत के बाद कहा, "ये बेहद मुश्किल मैच था. लेई ने बहुत अच्छी फाइट की."
तीन दिन का फाइनल
शनिवार और रविवार को होनेवाले फाइनल मैच अगर टाईब्रेकर तक खिंचे तो सोमवार को वर्ल्ड चैंपियन को खिताब मिलेगा. इस ऑल इंडिया फाइनल को लेकर दुनिया भर के शतरंज के महारथी बेताब हो गए हैं. अटकलों का बाज़ार गर्म है. दुनिया भर के सुपर कम्प्यूटर ब्रेन इनके गेम की एनालिसिस में जुटे हुए हैं. सिर्फ एक बात तय है भारतीय दिल नहीं टूटेंगे. वर्ल्ड कप की जीत पर भारत की मुहर लग चुकी है. NDTV से खास बात करती हुई दिव्या देशमुख की मां डॉ. नम्रता देशमुख सिर्फ खुशी ज़ाहिर करती हैं. ज़ाहिर तौर पर वो बेहद रोमांचित भी हैं.
विश्वनाथन आनंद की नज़र में किसका पलड़ा भारी?
पांच बार के वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद की इस गोल्डन जेनेरेशन को तैयार करने में बेहद अहम भूमिका है. एक साथ पुरुष और महिला दोनों वर्ग में कई खिलाड़ी दुनिया भर के दिग्गजों को मात दे रहे हैं. भारत दुनिया में चेस का पावरहाउस बन गया है. विश्वनाथन आनंद का फाइनल से पहले X पर बयान बेहद दिलचस्प है. विश्वनाथन आनंद कहते हैं, "कोनेरु हम्पी @humpy_koneru और लेई टिंगजी के बीच टाईब्रेक एक बड़ी दांव पर खेलने जैसा था, जहां तनाव और संयम की परीक्षा थी. लेकिन कोनेरु हम्पी ने खुद को संभाला और पहले झटके के बाद वापसी करते हुए आखिरी दो गेम जीतकर सेमीफाइनल पार किया. उनकी इस अविश्वसनीय लचीलापन और तेजी से जीत ने उन्हें एक और कैंडिडेट्स
स्पॉट दिलाया. खासकर वर्ल्ड रैपिड जीत और पुणे ग्रैंड प्रिक्स में साझा पहला स्थान हासिल करने के बाद. अब वह दिव्या देशमुख के खिलाफ फाइनल में भिड़ेंगी, जहां वर्ल्ड कप विजेता का फैसला होगा. भारतीय प्रशंसकों के लिए यह
जश्न मनाने का समय है !