यूं तो देश और दुनिया में कई सिंगर हैं, जिन्होंने एक से बढ़कर एक गाने गाए हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी सिंगर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका ताल्लुक बांग्लादेश है, लेकिन अपनी मधुर आवाज से भारत, पाकिस्तान समेत कई देशों के लोगों को मंत्रमुग्ध करने का दम रखती हैं. जी हां यहां हम फेमस सिंगर रूना लैला के बारे में बात कर रहे हैं, जो आज अपना 73वां जन्मदिन मना रही हैं. बता दें, उनका जन्म 17 नवंबर 1952 में बांग्लादेश के शहर सिलहट में हुआ था. आइए जानते हैं, उनके बारे में.
ऐसा था रूना लैला का बचपन
रूना लैला का जन्म 17 नवंबर 1952 को सिलहट में, कराची में तैनात राजशाही के एक सिविल सेवक सैयद मोहम्मद इमदाद अली और म्यूजिकल आर्टिस्ट्स अमीना लैला के घर हुआ था. उनके मामा सुबीर सेन फेमस इंडियन प्लेबैक सिंगर थे. बचपन से ही रूना को डांस और सिंगिंग का शौक था. बता दें, वह अपनी बड़ी बहन दीना लैला से क्लासिकल म्यूजिक सीखती थीं.
भारत के लोगों का जीता दिल, हिंदी फिल्म में की प्लेबैक सिंगिंग
जो भी रूना लैला का गाया हुआ गाना सुनते थे, वह मंत्रमुग्ध हो जाते थे. बता दें, पाकिस्तान और बांग्लादेश में अपनी दिलकश आवाज से दर्शकों को हैरान करने वाली रूना लैला ने भारत में भी दर्शकों का दिल जीता. उन्होंने 'एक से बढ़कर एक', 'जान-ए बहार', 'यादगार', 'घर दुआर', 'अग्निपथ', 'सपनों का मंदिर' सहित कई हिंदी फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग की है.
इसी के साथ आपको बता दें, "दमा दम मस्त कलंदर" गाना, जिसे पहले भी कई फेमस सिंगर गा चुके हैं, उसी गाने को रूना लैला ने भारत में एक इवेंट में गाया था. जिसके बाद उनकी काफी तारीफ हुई थी. बता दें, ऑडियंस के रिएक्शन के बाद रूना उनका गाया हुआ ये गाना काफी फेमस माना जाता है. वहीं उन्होंने "मेरा बाबू छैल छबीला" भी गाया था, जो आज भी लोगों की जुबान पर है.
17 भाषाओं में गाना गा चुकी हैं रूना लैला
रूना लैला बंगाली, हिंदी, उर्दू, पंजाबी, सिंधी, गुजराती, पश्तो, बलूची, अरबी, फारसी, मलय, नेपाली, जापानी, इटालियन, स्पेनिश, फ्रेंच और इंग्लिश सहित 17 से अधिक भाषाओं में गाना गा चुकी हैं.
लता मंगेशकर बीमार होने के बाद भी गईं
रूना लैला के गाने काफी हिट हुए, लेकिन फिर भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली. वह दूरदर्शन पर लगातार शोज करती रहीं. हिंदी फिल्मों में रूना लैला को कामयाबी नहीं मिलने का ठीकरा लता मंगेशकर और आशा भोंसले के सर फोड़ा गया था. एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने कहा था कि उन्हें हमेशा इस बात का अंदेशा रहता है कि किसी भी सिंगर की नाकामी का ठीकरा उन्हीं के सर फूटता है, इसी वजह से मैं बीमार होने के बावजूद रूना की पहली रिकॉर्डिंग में गई थी. उस दिन एक मोटी सी शॉल ओढ़कर वह वहां गई थीं.
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