अनिल देशमुख को बड़ी राहत, जमानत के खिलाफ ईडी की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

अनिल देशमुख को पिछले साल यानी नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया गया था. इस साल की शुरुआत में एक विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा उनकी जमानत अर्जी खारिज करने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.

महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने ईडी की याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया है और उनको हाईकोर्ट की तरफ से मिली राहत को बरकरार रखा है. ईडी ने बॉम्बे बाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने ईडी को देशमुख के जमानत के खिलाफ 13 अक्टूबर या उसके बाद सुप्रीम कोर्ट जाने की इजाजत दी थी. जमानत बरकरार रहने के बाद भी अनिल देशमुख आर्थर रोड जेल में ही न्यायिक हिरासत में रहेंगे. भ्रष्टाचार के आरोपों में सीबीआई भी उनके खिलाफ जांच कर रही है.

अनिल देशमुख को पिछले साल यानी नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया गया था. इस साल की शुरुआत में एक विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा उनकी जमानत अर्जी खारिज करने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 

देशमुख पर क्या हैं आरोप?
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. इन आरोपों के बाद सीबीआई ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने भी देशमुख के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था. ईडी ने जांच करने के दौरान ही नवंबर, 2021 में देशमुख को गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद से वे न्यायिक हिरासत में हैं.

ईडी ने चार्जशीट में दावा किया गया है कि देशमुख ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. देशमुख पर मुंबई के विभिन्न बार और रेस्तरां से करीब करोड़ों रुपये वसूलने का आरोप है. साथ ही आरोप है कि देशमुख ने गलत तरीके से अर्जित धन को नागपुर स्थित श्री साईं शिक्षण संस्थान को मुहैया कराया, जो उनके परिवार के जरिए नियंत्रित एक शैक्षिक ट्रस्ट है. 


ईडी के लिए एसजी तुषार मेहता ने कहा 
- सबूतों पर चुनिंदा चर्चा की गई.
- जमानत के आधार विकृत थे.
- उसी आधार पर जमानत रद्द की जा सकती है.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा
- यहां 73 साल का एक व्यक्ति है.
- दो बार वह जेल से अस्पताल में भर्ती हुआ था.
- हम इस आधार पर ही जमानत को बरकरार रख सकते हैं.

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 एसजी- हम में से सब के पास ये आधे स्वास्थ्य आधार हैं. 

जस्टिस चंद्रचूड़
-इसे व्यक्तिगत न बनाएं. 
-SG--HC के आदेश की विकृति देखें.
-मामले के गुण-दोष को नहीं छुआ जाना चाहिए था. 

जस्टिस चंद्रचूड़ 
- मान लीजिए कि हम कहते हैं कि हम स्वास्थ्य के आधार पर जमानत बरकरार रखते हैं.
- हम हाईकोर्ट द्वारा अन्य सभी टिप्पणियों को अलग रख सकते हैं.
- अन्य मुद्दों को टाला जा सकता है.

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