मुंबई में 17.74 करोड़ का हाउसिंग फ्रॉड! “IB अफसर” निकला फर्जी, मौत के बाद खुला पूरा रैकेट

पूरा मामला दिंडोशी पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ है और अब इसकी जांच इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग (EOW) के हवाले कर दी गई है. FIR में कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं — जिसमें धोखाधड़ी, जालसाजी, साजिश और वसूली जैसे अपराध शामिल हैं.

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  • मुंबई में एक व्यक्ति ने खुद को इंटेलिजेंस ब्यूरो अधिकारी बताकर करोड़ों रुपये का रियल एस्टेट फ्रॉड किया
  • आरोपी रुपेश चौधरी ने MHADA और MMRDA के नकली दस्तावेज बनवाकर निवेशकों को सस्ते फ्लैट दिलाने का झांसा दिया
  • आरोप है कि चौधरी ने पुलिस और आईएएस अधिकारियों के साथ फोटो सोशल मीडिया पर डालकर अपनी विश्वसनीयता बढ़ाई
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मुंबई:

मुंबई में रियल एस्टेट के नाम पर हुए बड़े फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. एक शख्स जिसने खुद को इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) का अफसर बताया, उसने कारोबारी और कई निवेशकों को मिलाकर करीब ₹17.74 करोड़ का चूना लगा दिया. खास बात ये है कि जब तक लोगों को सच्चाई पता चली, तब तक ये ‘फर्जी अफसर' मर चुका था.

पूरा मामला दिंडोशी पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ है और अब इसकी जांच इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग (EOW) के हवाले कर दी गई है. FIR में कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं — जिसमें धोखाधड़ी, जालसाजी, साजिश और वसूली जैसे अपराध शामिल हैं. शिकायतकर्ता मोहम्मद असलम कुरैशी (45), जो पेशे से बिजनेसमैन हैं, उन्होंने पुलिस को बताया कि आरोपी रुपेश प्रभाकर चौधरी (अब मृत) ने अपनी पत्नी निक्की चौधरी, सहयोगी प्रभाकर शेट्टी (60), रोलैंड कर्काडा (50) और अन्य के साथ मिलकर यह बड़ा फ्रॉड रचा.

सरकारी अफसर बनकर रचा खेल

कुरैशी के मुताबिक, रुपेश चौधरी ने खुद को सीनियर IB ऑफिसर बताया और दावा किया कि उसके MHADA और MMRDA के बड़े अधिकारियों से गहरे संबंध हैं. उसने सरकार की योजना के तहत “सस्ते फ्लैट” दिलाने का झांसा दिया. भरोसा दिलाने के लिए चौधरी ने MHADA के नकली दस्तावेज, फर्जी सरकारी लेटर, और GRAS चालान तक तैयार करवाए.

रुपेश चौधरी इतना चालाक था कि वो लाल बत्ती लगी गाड़ी में घूमता था, बॉडीगार्ड्स के साथ रहता था और IAS-अफसरों और पुलिसवालों के साथ फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर डालता था. इतना ही नहीं, उसने एक भव्य बर्थडे पार्टी भी रखी थी जिसमें ब्यूरोक्रेट्स, पुलिस अफसर और टीवी के सितारे तक शामिल हुए थे — जिनमें तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो के कलाकार भी शामिल थे.

जनवरी 2023 से जुलाई 2025 तक कुरैशी और उनके साथियों ने रुपेश की बातों पर भरोसा कर करीब ₹17 करोड़ लगा दिए. सबको उम्मीद थी कि 18 जुलाई 2025 को रजिस्ट्रेशन होगा, लेकिन उसी दिन खबर आई कि रुपेश चौधरी की नासिक में हार्ट अटैक से मौत हो गई. मामला यहीं नहीं थमा — चौधरी के अंतिम संस्कार के दौरान ही कुरैशी को पता चला कि रुपेश कभी IB अफसर था ही नहीं.

पुलिस अफसरों से नजदीकी और फर्जी कनेक्शन

शिकायत में कुरैशी ने दावा किया कि चौधरी के कई डीसीपी जैसे वरिष्ठ अफसरों से अच्छे संबंध थे. यही नहीं, आरोप है कि इन अधिकारियों ने उसकी दुबई यात्रा तक में मदद की. जांच में यह भी खुलासा हुआ कि चौधरी ने MHADA के उपाध्यक्ष अनिल दिग्गीकर के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाए थे. दिग्गीकर ने खुद साफ किया कि उनका चौधरी से कोई लेना-देना नहीं और सारे दस्तावेज नकली हैं.

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मौत पर भी सवाल

कुरैशी ने चौधरी की मौत को लेकर भी संदेह जताया है. उनका कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गड़बड़ियां हैं और सीने पर लाल निशान पाए गए थे. वहीं, चौधरी की पत्नी निक्की पर भी गंभीर आरोप हैं कि उसने निवेशकों के पैसे हड़प लिए और कुरैशी को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी.

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