जावेद अख्‍तर मानहानि मामले में आखिरकार कोर्ट में पेश हुईं कंगना रनौत, सुनवाई 1 अक्‍टूबर तक टली

पिछली सुनवाई के दौरान अंधेरी मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में कंगना रनौत को हाज़िर होना था पर वे कोर्ट नही पहुंची थीं.

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पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट में कंगना को हाज़िर होना था पर वे नहीं पहुंची थीं (फाइल फोटो)
मुंबई:

गीतकार और लेखक जावेद अख्तर (Javed akhtar) की ओर से अंधेरी कोर्ट में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) पर किए गए मानहानि दावे के मामले (Defamation case) में आज अंधेरी कोर्ट में सुनवाई हुई. कंगना सोमवार को कोर्ट में पेश हुईं. कोर्ट में उनकी अटेंडेंस मार्क की गई, इसके बाद सुनवाई 1 अक्टूबर तक टाली गई.  कंगना ने ट्रांसफर ऑफ एप्लिकेशन दायर किया है इस पर सुनवाई 15 नवंबर को होगी.

इससे पहले, कंगना के वकील रिजवान सिद्दीकी ने दलील दी कि जब यह मामला बेलेबल (जमानती)है तो कंगना का रोजाना कोर्ट आना क्यों जरूरी है.  उन्‍होंने कहा कि कंगना को लग रहा है कि यह कोर्ट पक्षपात कर रहा है, इसलिए वह चाहती है कि मामला किसी अन्य कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए. सिद्दीकी ने कहा कि इस तरह के मामलों में कंगना का कोर्ट में आना जरूरी नहीं है. अब तक गवाहों के बयान को एक्सामीन नहीं किया गया. पुलिस ने बयान नहीं दर्ज किया है. हमारे पास सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला है. कंगना के खिलाफ सभी मामलों को क्लब कर किसी अन्य कोर्ट में भेजा जाए, हमें इस कोर्ट पर भरोसा नहीं है. सुनवाई के दौरान जावेद अख्तर के वकील जय भारद्वाज कंगना कोर्ट नहीं आ रही हैं. उन्‍होंने कहा कि आप चाहें तो सुप्रीम कोर्ट जा सकते है. पिछली सुनवाई के दौरान अंधेरी मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में कंगना को हाज़िर होना था पर वे कोर्ट नही पहुंची थीं. कंगना के वकील ने कोविड लक्षण का कारण बताते हुए कुछ दिनों की छूट देने की याचिका की थी. कोर्ट ने 6 दिनों की राहत देते हुए 20 सितंबर के लिए सुनवाई टाल दी थी. 

गौरतलब है कि इससे पहले, इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) से कंगना को राहत नहीं मिली थी. HC ने कंगना रनौतकी अर्जी खारिज कर दी थी. कंगना ने अपने खिलाफ अंधेरी कोर्ट में जारी मानहानि के मुक़दमे को खारिज करने की मांग की थी. कंगना रनौत ने अपने वकील रिजवान सिद्दीकी के मार्फत मानहानि की कार्यवाही को चुनौती दी थी और कहा था कि उपनगर अंधेरी की मजिस्ट्रेट अदालत इस मामले में अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया.कंगना ने अपनी अर्जी में कहा था कि निचली अदालत ने शिकायतकर्ता एवं उनके विरूद्ध दर्ज शिकायत में नामजद गवाहों का स्वतंत्र रूप से परीक्षण नहीं किया बल्कि उसने बस जुहू पुलिस के विवेक पर भरोसा कर लिया एवं उनके विरूद्ध मामला शुरू कर दिया.

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