मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में बीजेपी स्पष्ट रूप से बंटी हुई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के खेमे के पार्टी के कुछ विधायकों ने शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों का विरोध किया है. यह कांग्रेस में खुशी का कारण बन गया है. कांग्रेस के मुताबिक यह बात साफ है कि सिंधिया के वफादार संकट पैदा करने वाले हैं और वे आखिरकार अपना असली रंग दिखा रहे हैं. सिंधिया के दो वफादार, जो कि राज्य सरकार के मंत्री हैं, ने प्रशासन और पुलिस की आलोचना की है और मुख्य सचिव आईएस बैंस सहित राज्य के शीर्ष नौकरशाहों को भी निशाना बनाया है.
राज्य के मंत्री महेंद्र सिसोदिया ने सार्वजनिक रूप से अपना गुस्सा निकाला और बृजेंद्र सिंह यादव ने राज्य सहकारी समितियों के आयुक्त के साथ-साथ स्थानीय कलेक्टर को पत्र लिखा.
विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ विधायक सीताशरण शर्मा ने नर्मदापुरम जिले में सड़कों पर उतरकर आरोप लगाया है कि बिजली विभाग बिजली बिलों की वसूली के नाम पर लोगों को “परेशान” कर रहा है.
एक अन्य विधायक नारायण त्रिपाठी ने हाल ही में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर धमकी दी थी कि अगर सिद्ध पहाड़ में खनन पट्टों की अनुमति देने की प्रक्रिया को नहीं रोका गया तो चित्रकूट में मार्च निकालेंगे.
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग संभालने वाले कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिसोदिया ने मुख्य सचिव आईएस बैंस पर "निरंकुश" होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि यह रवैया जिला स्तर तक पूरे नौकरशाही ढांचे को प्रभावित कर रहा है.
गुना में पत्रकारों से बात करते हुए सिसोदिया ने कहा कि प्रशासन "निरंकुश" चल रहा है. उन्होंने इसके लिए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को दोषी ठहराया. हालांकि उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए उन्हें देश का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री बताया.
सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव सहकारिता विभाग में नियुक्तियों को लेकर कथित तौर पर नाखुश हैं. सूत्रों ने बताया कि वे विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं और अशोक नगर जिले में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं के लिए एक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर चुके हैं.
माना जा रहा है कि उन्होंने स्थानीय अधिकारियों की नियुक्तियों को लेकर अशोक नगर के जिला कलेक्टर से सहयोग न मिलने पर भी नाराजगी जताई थी.
पार्टी सूत्रों से संकेत मिले हैं कि सिंधिया के इन दोनों वफादारों को कैबिनेट में अगले फेरबदल के दौरान कुछ अन्य लोगों के साथ हटाया जा सकता है. फेरबदल अक्टूबर में होने की संभावना है.
अटकलें यह भी हैं कि सीतासरण शर्मा, नारायण त्रिपाठी और महेंद्र सिसोदिया उन विधायकों में शामिल हो सकते हैं जिन्हें 2023 के विधानसभा चुनावों में टिकट से वंचित किया जा सकता है.
कांग्रेस के मीडिया विंग के प्रमुख केके मिश्रा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "जब वे कांग्रेस में थे, तो वे अपने नेता के साथ इसी तरह की चालों में शामिल थे. यह व्यावसायिक राजनेताओं का एक गिरोह है. राजनीतिक ब्लैकमेलर्स को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी... 2023 आने दो."
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