Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय के चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)आरक्षण पर सुप्रीम फैसला आ गया है.मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव बगैर ओबीसी आरक्षण के होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को चुनाव कराने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 5 साल में चुनाव करवाना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है. दो हफ्ते में अधिसूचना जारी करें, OBC आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता. अभी सिर्फ SC/ST आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने होंगे. फिलहाल बगैर ओबीसी आरक्षण 23,263 स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे.
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को दो हफ्ते के भीतर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया. SC ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा करे बिना आरक्षण नहीं मिल सकता. शीर्ष अदालत ने कहा कि निकाय चुनाव न टालने के आदेश बाकी राज्यों पर भी लागू होगा.कोर्ट ने कहा कि खाली सीटों पर पांच साल में चुनाव करवाना संवैधानिक ज़रूरत है, इसे किसी भी वजह से टाला नहीं जाना चहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार और चुनाव आयोग, स्थानीय निकायों के लिए डी-लिमिटेशन प्रक्रिया को पूरा करे बिना और ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट मानदंड को पूरा करे बिना चुनाव स्थगित नहीं कर सकते. सरकार इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है
राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'अभी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया है. अभी हमने इसका विस्तृत अध्ययन नहीं किया है. OBC आरक्षण के साथ ही पंचायत चुनाव हों, इसके लिए रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे और पुन: आग्रह करेंगे कि स्थानीय निकायों के चुनाव OBC आरक्षण के साथ हों. दूसरी ओर विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने कोर्ट के फैसले के बाद सरकार पर निशाना साधा है इऔर कहा है बीजेपी ने ओबीसी को छला है. मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्षजेपी धनोपिया ने कहा, 'माननीय उच्चतम न्यायालय में गलत जानकारी दी गई है. इन सब बातों से लग रहा था कि पिछड़े वर्ग को छलावा देने का काम कर रहा, जब दस्तावेज ही पूरे नहीं दिया तो माननीय न्यायालय के पास विकल्प नहीं था.'
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई के बाद राज्य सरकार ने आनन-फानन में पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए कहा था कि प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता पिछड़ा वर्ग के हैं,इस आधार पर स्थानीय निकाय चुनाव में उन्हें 35% आरक्षण की सिफारिश की गई थी लेकिन इस रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना है, जिसके बाद तय हो गया कि चुनाव 36% आरक्षण के साथ ही होंगे. इसमें 20% STऔर 16% SC का आरक्षण रहेगा जबकि, शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव 27% OBC आरक्षण के साथ कराने की बात कही थी, इसीलिए यह चुनाव अटके हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 23000 से ज्यादा स्थानीय निकाय दो सालों से भी ज्यादा बगैर चुने हुए जनप्रतिनिधियों के काम कर रहे हैं जो संविधान के मूल भावना के खिलाफ है, अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने ये भी कहा कि OBC को बढ़ावा देने वाली राजनीतिक पार्टियां जनरल सीट पर OBC उम्मीदवार उतार सकती हैं.
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