MP : तीर्थ स्‍थलों के विकास के जरिये वोटरों को लुभाने की तैयारी में शिवराज सिंह सरकार

उज्जैन महाकालेश्वर में महाकाल लोक का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया. पहले चरण का काम हो गया है, पूरे परिसर को विकसित करने में 856 करोड़ खर्च होंगे.

भोपाल :

Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार श्रद्धालुओं के दिल से इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बटन छूने की कोशिश में है. शायद इसलिये अगले कुछ महीनों में राज्य के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर हजारों करोड़ खर्च होंगे, उनका स्वरूप भव्य होगा. कहा जा रहा है कि श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं भी तैयार होंगी. इसकी शुरुआत श्रीमहाकाल लोक से हो गई है. उज्जैन महाकालेश्वर में महाकाल लोक का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया. पहले चरण का काम हो गया है, पूरे परिसर को विकसित करने में 856 करोड़ खर्च होंगे.गौरतलब है कि मध्‍य प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं. 

इसी क्रम में ओंकारेश्वर में 108 फीट की शंकराचार्य प्रतिमा बनेगी. अलग-अलग चरणों में यहां 2141.85 करोड़ रु. खर्च होंगे. सिर्फ प्रतिमा पर ही 198.25 करोड़ खर्च होंगे, कोशिश है कि अगस्त 2023 तक आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का लोकार्पण हो जाए. सलकनपुर मंदिर को संवारने के लिये 55 करोड़ का प्रस्ताव है, इसी तरह मैहर में शारदा मां के मंदिर पर 30 करोड़ रुपए के काम होंगे. दतिया में पीतांबरा पीठ के लिये 25 करोड़ का प्रोजेक्ट बन रहा है. शनिश्चरा धाम में 30 करोड़ रुपए के काम होंगे. राम वनपथ गमन के साथ पूरे चित्रकूट का विकास 100 करोड़ में होगा.

हालांकि कांग्रेस का कहना है योजना में भ्रष्टाचार हो रहा है, वहीं बीजेपी कांग्रेस पर सियासत का आरोप लगा रही है. कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, "मूर्तियां लगें, हम इसके पक्षधर हैं. तीर्थ स्‍थलों का विकास हो लेकिन उनके नाम पर भ्रष्टाचार न हो. उसके हम विरोधी हैं जो ये सरकार कर रही है." उधर, बीजेपी प्रवक्‍ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा, "भारत सरकार की योजना है-प्रसाद योजना. इसके तहत देशभर में धर्म स्थानों के विकास के लिये एक फंड है. योजना के अंतर्गत विकास कार्य किया जा रहा इसको कांग्रेस राजनीति से जोड़ती है तो उसका दोष है. बीजेपी के लिये सबका विश्वास, सबका विकास नारा है, वही रहेगा." 

वैसे कांग्रेस के आरोप निराधार नहीं हैं. उज्जैन में 'महाकाल लोक' कॉरिडोर के पहले चरण के निर्माण कार्यों में हुई वित्तीय गड़बड़ी के मामले में लोकायुक्त ने तीन IAS के अलावा 15 अफसरों को नोटिस देकर जवाब मांगा है. उनके खिलाफ शिकायत में कहा गया कि ठेकेदार को करोड़ों का लाभ पहुंचाने के लिए SOR की दरें और आइटम बदले गए हैं. ये तब हो रहा है जब सरकार गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है. सरकार ने दो साल में बाजार से एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन उठा लिया है, यह अब तक लिए गए कुल लोन का एक तिहाई है.

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