कोरोना काल में अब इंदौर (Coronavirus Cases in Indore) के हालात नाजुक होते जा रहे हैं. अस्पतालों (Indore Hospitals) में बेड नहीं हैं, ऐसे हालात में अस्पताल के बाहर मरीज इलाज के इंतजार में ही मौत के आगोश में जा रहे हैं. ऐसा ही दर्दनाक मंजर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सामने देखने को मिला. जिसने भी यह दर्दनाक मंजर देखा, सिहर गया. अस्पताल के बाहर इलाज के अभाव में दो लोगों की जान एम्बुलेंस में ही चली गई. परिजन बेबस थे.लाख प्रयास किए पर परिजन अपनों की जान नहीं बचा पाए. शहर में 1104 आईसीयू में 882 यानी लगभग 80 प्रतिशत से ज्यादा आईसीयू भरे हुए हैं.
शुक्रवार दोपहर गौरव लखवानी को उनके परिजन और देवेंद्र बिल्लोरे को लेकर उनके परिजन अस्पताल पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि लगभग 3 बजे से इलाज की तलाश में भटकते हुए दो एम्बुलेंस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंचीं. दोनों मरीज अलग-अलग एम्बुलेंस में थे. परिजन बदहवास थे पर अस्पताल में बेड नहीं मिला. इलाज के लिए परिजन चिल्लाते रहे, बदहवास यहां से वहां दौड़ते रहे और इंतजार करते रहे कि कोई बेड खाली हो और इलाज मिले, लेकिन दोनों ही मरीजों ने अपने परिजनों के सामने दम तोड़ दिया.
बेटे के सामने पिता ने छोड़ दी सांसें
मरीजों के परिजन जिन्होंने अस्पातल में अपने परिजन को भर्ती करवाने के पूरे प्रयास किए वे इधर उधर दौड़ते रहे. दिपेश बिल्लोरे अपने पिता को लेकर पहुंचे उन्होंने बताया कि पहले गेट पर खड़े रहे, फिर घंटों कागज मांगते रहे, यह लाओ, वह लाओ. बेटा परेशान था और पिता की सांसें शरीर छोड़ रही थीं , पल्स चेक करो , ऑक्सीजन लगाया हुआ है , बेटा बार-बार पापा-पापा चिल्ला रहा है , पापा को छोड़ अस्पताल में दौड़ लगा रहा है, पर ना जगह मिली ना पिता की सांस रही , अस्पताल के बाहर किसी डॉक्टर, किसी नर्स ने चेक करने तक की जहमत नहीं उठा.
पति को बचाने के लिए रोती रही महिला, मगर जान नहीं बची
वहीं एक दूसरी एंबुलेंस में अपने परिवार के सदस्य को लेकर पहुंची महिला बदहवास थी. पति को बचाने के लिए बार-बार ईश्वर को याद कर रही थी. लोग चिल्ला रहे थे कि ऑक्सीजन लगाओ , कोई ऑक्सीजन जरूर लेकर आया, लगाया भी , महिला चिल्लाती रही तुम हिम्मत रखना प्लीज. बार-बार आंखें खुली रखने का कहती रही. पानी दो पानी तो कहती रही, पर सांसें और उम्मीद अस्पताल की चौखट पर टूट गई.
पीड़ित परिजनों का आरोप है कि वह मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल में इधर-उधर भागते रहे लेकिन अस्पताल के बाहर किसी डॉक्टर या किसी नर्स ने उनका चेकअप करने तक की जहमत नहीं उठाई. सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के इंचार्ज डॉक्टर सुमित शुक्ला से जब इस मामले में बात करना चाहा तो उन्होंने फोन तक रिसीव नहीं किया.