भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में सोमवार की रात में मौत का ऐसा तांडव मचा, जिसे मरीजों के परिजन कभी नहीं भूल पाएंगे. तीसरे माले के एसएनसीयू में लगी आग ने 4 बच्चों की जान ले ली. बेबस परिजनों के पास रोने-बिलखने के अलावा कोई चारा नहीं था, सरकार फिलहाल लापरवाही से इनकार कर रही है लेकिन एनडीटीवी को जो तथ्य मिले हैं वो इसी ओर इशारा कर रहे हैं. हालात यह है कि अस्पताल ने 15 साल से फायर एनओसी तक नहीं लिया था.
करण और निकिता मजदूरी करते हैं. साल 2018 में इसी अस्पताल में उनकी एक बिटिया की मौत हुई और 2021 में 12 दिन की बेटी को खो दिया. बेबस मां-बाप कुछ नहीं कर पाए. निकिता ने बताया कि ''दूध पिलाने जा रही थी इतने में आग लग गई. बाकी सबको भगा दिया, नहीं जाने दिया अंदर. बाद में कहा तुम्हारी लड़की खत्म हो गई.''
सरकार कह रही है चार बच्चों की मौत हुई, लेकिन मंगलवार को दिन में भी हमारे कैमरे के सामने दो और बच्चों के शव निकले. परिजन कह रहे हैं कि संख्या छिपाई जा रही है. शैलेन्द्र की बच्ची मंगलवार को डिस्चार्ज होने वाली थी लेकिन वे अब शव लेकर जा रहे हैं. कहा गया है कि आग की वजह से मौत हुई. शैलेन्द्र ने कहा कि ''हॉस्पिटल में कोई किसी की नहीं सुन रहा. कई बच्चे हैं, सब जले हैं. हम लोग बोल रहे हैं तो भगा रहे हैं. हीटर से आग लगी है.''
सरकार लाख दलीलें दे, अव्यवस्था हर तरफ दिख रही थी. बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर मिलाकर आठ मंजिल के इस हॉस्पिटल में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं थे. ऑटोमेटिक हाइड्रेंट भी खराब पड़ा था. मोहित यादव ने बताया कि ''फायर एक्टिंगिविशर था, हमने निकाला, सब खाली था, फिर हमने बच्चों को निकाला.''
हैरत की बात ये है कि कमला नेहरू हॉस्पिटल में 15 साल से फायर NOC नहीं ली गई थी. बीएमसी के एडिश्नल कमिश्नर, फायर सेफ्टी केएस परिहार ने बताया कि ''कमला नेहरू की कोई एप्लीकेशन नहीं है, मेरी नजर में नहीं है. हमारी टीम ने पाया इक्विपमेंट आउटडेटेड थे, काम नहीं कर रहे थे. चार-पांच बार नोटिस गया है अस्पतालों को जिसमें कमला नेहरू भी शामिल है.''
सरकार कह रही है लापरवाही करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. विपक्ष सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि ''सुनिश्चित ही नहीं करेंगे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे. ये जांच के दायरे में है टिप्पणी ठीक नहीं है. हर पहलू पर जांच होगी सुनिश्चित करेंगे, पुनरावृत्ति ना हो.''
पूर्व कानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि ''फायग एक्सिंगविशर नहीं है, कहा जाता है मध्यप्रदेश का बेस्ट अस्पताल है. डेंगू में अलग जान गई. पूरा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर फेल हो गया है.''
पूरे मामले की जांच का जिम्मा एडिशनल चीफ सेक्रेटरी लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान को दिया गया है.