- महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने मुंबई के आकाशवाणी एमएलए हॉस्टल में कैंटीन चलाने वाले कैटरर का लाइसेंस निलंबित कर दिया है
- शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ ने बासी भोजन परोसने के आरोप में हॉस्टल कर्मचारी को कथित तौर पर थप्पड़ मारा था
- एफडीए ने अजंता कैटरर्स द्वारा खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम और संबंधित विनियमों का उल्लंघन पाया है
महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने बुधवार शाम मुंबई के आकाशवाणी एमएलए हॉस्टल में कैंटीन चलाने वाले कैटरर का लाइसेंस निलंबित कर दिया है. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के एक विधायक ने यहां बासी भोजन परोसने की शिकायत पर एक कर्मचारी को कथित तौर पर थप्पड़ मार दिया था. एफडीए ने कहा है कि ठेकेदार (अजंता कैटरर्स) ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियम, 2011 का भी उल्लंघन किया है. इस मामले में अभी शिवसेना विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इस बीच इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है. विपक्ष इस मामले को विधानसभा में उठाने की रणनीति बना रहा है. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आज आरोपी विधायक से मुलाकात कर उनका पक्ष जान सकते हैं.
एफडीए ने बताया कि निरीक्षण में उल्लंघन पाए गए. एफडीए ने अजंता कैटरर्स को बृहस्पतिवार (10 जुलाई) से हॉस्टल परिसर में खाद्य सेवा संचालन बंद करने का निर्देश दिया है. यह कार्रवाई शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ की ओर से एमएलए हॉस्टल कैंटीन में 'बासी भोजन' परोसने पर एक कर्मचारी को थप्पड़ मारने के बाद की गई है.
क्या है पूरा मामला
बुलढाना के विधायक संजय गायकवाड़ को अपने किए पर पछतावा नहीं है. प्रशासन ने कैंटीन पर ही कार्रवाई कर दी है. लेकिन शिवसेना के एमएलए के खिलाफ अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है, जबकि उन्होंने कैंटीन संचालक के साथ मारपीट की थी. इसका विडियो भी वायरल हुआ था.
यह मामला बुधवार को महाराष्ट्र विधान परिषद में उठा. उद्धव ठाकरे की शिवसेना के विधायक अनिल परब ने यह मुद्दा उठाते हुए सरकार पर राजनीतिक मनमानी का आरोप लगाया.उनके इस आरोप पर फडणवीस ने कहा,''इस तरह का आचरण सही संदेश नहीं देता. ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है और किसी के लिए भी सम्मानजनक नहीं है. एक विधायक के रूप में गायकवाड़ के कृत्य ने सभी विधायकों की प्रतिष्ठा धूमिल की है.'' उन्होंने कहा,''आपसे (विधान परिषद अध्यक्ष राम शिंदे) आग्रह करता हूं कि मुद्दे की जांच करें. समस्या है तो कार्रवाई की जा सकती है. जनप्रतिनिधियों के मारपीट करने से लोगों के बीच गलत संदेश जाता है. आप (विधान परिषद अध्यक्ष) और स्पीकर (राहुल नार्वेकर) इसका संज्ञान लें और कार्रवाई करें.''
मारपीट करने पर ये बोले थे गायकवाड़
संजय गायकवाड़ ने कहा था, "मैं एक विधायक हूं और एक योद्धा भी. बार-बार कोशिश करने के बाद किसी ने मेरी बात नहीं मानी, तो मैंने बालासाहेब ठाकरे द्वारा सिखाई गई भाषा का इस्तेमाल किया. मैं अपना आपा खो बैठा. मैं जूडो, जिम्नास्टिक, कराटे और कुश्ती में चैंपियन हूं. मैं गांधीवादी नहीं हूं. मुझे कोई पछतावा नहीं है. मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ गलत किया. मैं यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाऊंगा.''
उन्होंने कहा था कि खराब खाना दिया तो फिर पिटाई करूंगा. खराब दाल देखकर मेरी सटक गई, मेरा दिमाग गरमा गया, क्योंकि कैंटीन के खराब खाने की शिकायतें अक्सर आती रहती हैं. गायकवाड़ ने कहा, ''मैंने चाल-चावल मंगवाए थे. जैसे ही मैंने खाने का पहला निवाला खाया तो मुझे बहुत गंदा लगा. दूसरा निवाला खाते ही मुझे उल्टी हो गई. इसके बाद बनियान-तौलिये में ही मैं कैंटीन पहुंच गया. जिन लोगों ने खाना दिया था, मैंने उनसे पूछा कि क्या ये आपने दिया है आप इसे सूंघिए. उन्होंने कहा कि ये तो खराब है. जिसके बाद मैंने मैनेजर को बुलाया और उनको भी दाल सुंघाई. कैंटीन के छह कर्मचारियों ने कहा कि ये खाना खाने लायक नहीं है, क्योंकि वह सड़ा हुआ था.''
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