- पुणे नगर निगम चुनाव 2026 में एनसीपी ने जेल में बंद आंदेकर परिवार की दो महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है.
- लक्ष्मी और सोनाली आंदेकर आयुष कोमकर हत्याकांड के आरोपों में जेल से नामांकन दाखिल कर चुकी हैं.
- आयुष कोमकर हत्याकांड दो कुख्यात परिवारों के गैंगवार से जुड़ा है, जिसमें 18 साल के युवक की जान चली गई.
Pune Election 2026: पुणे नगर निगम चुनाव 2026 शुरू होते ही राजनीति में हलचल तेज हो गई है. इस बार चर्चा सिर्फ विकास या स्थानीय मुद्दों की नहीं, बल्कि अपराध और राजनीति के गठजोड़ की है. अजित पवार की एनसीपी ने आयुष कोमकर हत्याकांड में जेल की सजा काट रहे आंदेकर परिवार की दो महिलाओं को टिकट देकर सबको चौंका दिया है. सवाल उठ रहा है कि क्या अपराधियों को चुनावी मैदान में उतारना लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी नहीं?
जेल से दाखिल हुआ नामांकन
आंदेकर परिवार की लक्ष्मी आंदेकर और सोनाली आंदेकर फिलहाल आयुष कोमकर हत्याकांड में जेल में बंद हैं. एनसीपी ने इन दोनों को एबी फॉर्म देकर उम्मीदवार बनाया है. दोनों ने अपने वकीलों के जरिए भवानी पेठ क्षेत्रीय कार्यालय में नामांकन दाखिल किया. परिवार के वरिष्ठ सदस्य बंडू आंदेकर को टिकट नहीं मिला, इसलिए उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. अदालत ने इन आरोपियों को जेल से चुनाव लड़ने की अनुमति दी है.
क्या है आयुष कोमकर हत्याकांड?
यह मामला पुणे के दो कुख्यात परिवारों के बीच गैंगवार से जुड़ा है. 5 सितंबर 2025 की रात नाना पेठ इलाके में 18 साल के आयुष कोमकर की उसके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई. आयुष पर करीब 9 गोलियां चलाई गईं. यह हत्या सितंबर 2024 में पूर्व पार्षद वनराज आंदेकर की हत्या का बदला लेने के लिए की गई थी. आयुष, वनराज की हत्या के आरोपी गणेश कोमकर का बेटा था. यानी, आंदेकर गुट ने अपने नेता की मौत का बदला लेने के लिए निर्दोष बेटे को निशाना बनाया.
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गैंगवार से राजनीति तक
इस घटना ने पुणे में वर्चस्व की लड़ाई को फिर से हवा दी. आंदेकर परिवार पहले से ही राजनीति में सक्रिय रहा है और महापौर पद भी संभाल चुका है. इसलिए इस हत्याकांड ने अपराध और राजनीति के गठजोड़ पर गंभीर सवाल खड़े किए. खास बात यह है कि आयुष का अपने पिता के आपराधिक रिकॉर्ड से कोई सीधा संबंध नहीं था, फिर भी वह दुश्मनी का शिकार बना.
पुलिस की कार्रवाई और मकोका
पुलिस ने इस मामले में बंडू आंदेकर, उसकी बेटी, बहू और शूटरों सहित करीब 14 से 16 लोगों को गिरफ्तार किया. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुणे पुलिस ने मकोका कानून के तहत कार्रवाई की. प्रशासन ने आंदेकर परिवार के अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाया और उनके करीब 40 बैंक खातों को सील कर दिया. वर्तमान में आरोपी जेल में हैं, लेकिन कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद परिवार की महिलाएं जेल से ही चुनाव लड़ रही हैं.
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