नागपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां आरोप लग रहे हैं की कुछ एजेंटों और बैंक अधिकारियों ने मिलीभगत करके ICICI बैंक नागपुर से लोगों के नाम पर बिना उनकी जानकारी के लोन मंजूर कर लिया. आरोप लग रहे हैं कि लोन गरीब नागरिकों, मजदूरों और कुछ महिलाओं के नाम पर स्वीकृत किया गया था.
बताया जा रहा है की लोन स्वीकृति के लिए फर्जी सैलरी स्लिप तैयार की गईं, जिन पर श्रम विभाग की नकली मुहरें लगाई गई थीं. दूसरे बैंकों में कुछ खाते खोलकर, फोटोशॉप सॉफ्टवेयर की मदद से फर्जी बैंक स्टेटमेंट भी तैयार किए गए थे.
ICICI बैंक में लोन के लिए आवेदन करने वाली एक महिला की सैलरी स्लिप पर सेवानिवृत्ति की तारीख 31 मई 2079 लिखी मिली. नागपुर के वाठोडा इलाके में रहने वाली वनश्री तरोने के नाम पर इस गिरोह ने ICICI बैंक से सात लाख रुपये का लोन निकाला था.
लोन मंजूर होने के ठीक अगले ही दिन उनके खाते से चार लाख रुपये निकाल लिए गए. वनश्री तरोने के नाम पर लिया गया लोन अस्थायी रूप से बैंक द्वारा स्थगित कर दिया गया है.
धंतोली पुलिस थाने ने मामले का संज्ञान लिया है. अंदेशा है इस फ़र्ज़ीवाड़े का दायरा और बड़ा हो सकता है, इसलिए करोड़ों की बाक़ी स्वीकृत लोन की भी पड़ताल चल रही है.
इसी बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नागपुर शहर अध्यक्ष, विशाल बडगे, ने ICICI बैंक के रीजनल हेड को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि बैंक के अधिकारियों, कर्मचारियों और एजेंट्स ने मिलकर गरीब नागरिकों और मजदूरों को बहला-फुसलाकर धोखे से कर्ज दिया और बड़ी धोखाधड़ी की. मनसे ने आरोप लगाया है कि इस फर्जीवाड़े के कारण गरीब नागरिकों के कई परिवार भुखमरी की कगार पर हैं.
वनश्री तरोने का विशेष उल्लेख करते हुए बताया कि उनके नाम पर सात लाख चालीस हज़ार रुपए का कर्ज मंजूर किया गया, जिसके लिए फर्जी वेतन पर्चियां बनाई गईं और महिला के खाते से लाखों रुपए निकाल लिए गए. मनसे ने बैंक को 7 दिन के भीतर दोषी अधिकारियों पर आपराधिक कार्रवाई की मांग रखी है. मनसे ने बैंक के सामने सड़क पर उतरकर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.














