लपक लो, उल्टे छाते में गिरता है प्रसाद... गणपति मंदिर की 100 साल पुरानी अनोखी परंपरा

बीड के इस श्रीगणेश मंदिर इलाके में गौरी पूजन के दौरान बड़ी मात्रा में प्रसाद बनाया जाता है. मंदिर में पूजा के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद फेंककर वितरित किया जाता है. पहले के समय में लोग यहां पगड़ी या धोती में प्रसाद को स्वीकार करते थे.

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बीड का अनोखा गणेश मंदिर.
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  • महाराष्ट्र के बीड जिले के गणपति मंदिर में 100 वर्षों से छत से प्रसाद फेंकने की अनोखी परंपरा है.
  • श्रद्धालु मंदिर में पूजा के बाद प्रसाद को हाथों की बजाय उल्टी छतरियों से ग्रहण करते हैं.
  • गौरी पूजन के दौरान मंदिर में बड़ी मात्रा में प्रसाद बनता है जिसे छत से फेंककर वितरित किया जाता है.
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बीड:

आस्था के अलग-अलग रंग होते हैं. हर रंग बहुत खास होता है. महाराष्ट्र के बीड (Ganpati Temple) से आस्था की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो बहुत ही अलग और खास है.  हम सभी हाथों में भगवान का प्रसाद ग्रहण कर उसे माथे से लगाते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि छत से प्रसाद फेंका जाए. इस प्रसाद को हाथों में नहीं बल्कि उल्टे छाते (Prasad In Umberellas) में लिया जाए. बीड जिले नें भगवान गणपति का ऐसा ही एक मंदिर है.

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गणेश मंदिर की 100 साल पुरानी परंपरा

इस मंदिर की परंपरा बहुत ही अनोखी है. 100 साल पुरानी इस परंपरा के मुताबिक, गणपति बप्पा की पूजा के बाद प्रसाद को छत से फेंका जाता हैं. इस प्रसाद को वहां मौजूद श्रद्धालु छाता उल्टा पकड़कर लपकते हैं.

गणेशोत्सव के अलग-अलग रंगों में एक अनोखा और दिलचस्प रंग महाराष्ट्र के बीड का भी है. यहां की परंपरा भी सबसे अलग है. मंदिर में प्रसाद लेने के लिए श्रद्धालुओं की कतारें लगती हैं, लेकिन इस श्रीगणेश मंदिर क्षेत्र में घरों के ऊपर से प्रसाद फेंका जाता है, जिसे श्रद्धालु छतरी को उल्टाकर स्वीकारते हैं.

 ये परंपरा यहां पिछले 100 सालों से चली आ रही है. बीड के इस श्रीगणेश मंदिर इलाके में गौरी पूजन के दौरान बड़ी मात्रा में प्रसाद बनाया जाता है. मंदिर में पूजा के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद फेंककर वितरित किया जाता है. पहले के समय में लोग यहां पगड़ी या धोती में प्रसाद को स्वीकार करते थे. समय के साथ बदलती परंपरा में लोग छतरी उल्टा कर इस प्रसाद को स्वीकारने लगे.

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