पुलिसकर्मी को जांघ पर गोली लगी, क्या इसकी जांच की...; अक्षय शिंदे के एनकाउंटर पर बॉम्बे कोर्ट

कोर्ट ने पाया कि चिकित्सा दस्तावेजों में उपचार के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं दी गई है. न्यायालय ने कहा कि जांच इस दिशा में भी होनी चाहिए कि क्या अधिकारी नीलेश मोरे को लगी गोली उसी हथियार से लगी थी.

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बदलापुर के स्कूल में चार साल की दो लड़कियों के यौन शोषण के मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे के एनकाउंटर मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अक्षय शिंदे के पिता ने एनकाउंटर की एसआईटी जांच की मांग की है और इसमें शामिल चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की है. पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पी.के. चव्हाण की पीठ ने पुलिस द्वारा प्रस्तुत घटनाक्रम के संस्करण पर संदेह व्यक्त किया था. कोर्ट ने कहा कि पुलिस सुरक्षा की मांग करें, ऐसी टिप्पणी न करें. आईए में केवल पुलिस सुरक्षा लंबित है क्योंकि रविवार को दफ़नाया गया था. एजी ने कहा कि कहा कि याचिकाकर्ता के घर के बाहर पुलिस अधिकारी पहले से ही तैनात हैं. कोर्ट ने पूछा कि क्या उन्होंने सुरक्षा के लिए कोई आवेदन किया है. पिता के वकील ने कहा कि ठाणे पुलिस और नवी मुंबई पुलिस को प्रतिनिधित्व दिया गया था.

सुनवाई में कोर्ट ने पूछे ये सवाल

कोर्ट ने कहा कि इन आवेदनों पर निर्णय लेने की आवश्यकता है, हम वह आदेश पारित करेंगे. क्या फोरेंसिक विशेषज्ञ ने वाहन की जांच की थी और NY रिकोशे पैटर्न को देखा था. जिस पर एजी का कहना है कि कोई रिकोशे पैटर्न नहीं है क्योंकि उन्हें बाहर से फायर किया गया था, हालांकि 4 गोली के छरे बरामद किए गए. वहीं कोर्ट ने कहा कि चूंकि फायरिंग एक सुनसान इलाके में हुई थी, तो क्या कोई प्रयास किया गया था? क्या वाहन चल रहा था या स्थिर था? जिसके जवाब में एजी ने कहा कि चल रहा था, पोस्टमार्टम रिपोर्ट 28 सितंबर को प्राप्त हुई थी और 30 तारीख को इसे मजिस्ट्रेट के पास मजिस्ट्रियल जांच के लिए भेज दिया गया. कोर्ट ने कहा कि क्या आरोपी ने जिस गिलास/बोतल से पानी पिया था, उसका फिंगरप्रिंट लिया गया था? दो बंदूके थी , दोनों के फायरिंग पिन के निशान अलग-अलग हैं. इससे यह साबित हो जाएगा कि गोली किसी हथियार से चलाई गई थी, हम यह देखना चाहेंगे.

जांघ पर गोली लगी, क्या मेडिकल अधिकारी ने जांच की

इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को जांघ पर गोली लगी, क्या मेडिकल अधिकारी ने जांच की है. क्या उसे ठीक से देखा गया है और क्या उन्होंने इस पर ध्यान दिया है.. क्या उसे छुट्टी दे दी गई है.. उसका मेडिकल कहां है? क्या कोई बाहरी घाव था? जिस पर एजी ने कहा कि हां बाहरी घाव. एजी ने पुलिस अधिकारी के मेडिकल दस्तावेज़ सौंपे. एजी ने कहा कि वह वर्तमान में जुपिटर अस्पताल में हैं और पहले कलवा में थे. कोर्ट ने पाया कि चिकित्सा दस्तावेजों में उपचार के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं दी गई है. न्यायालय ने कहा कि जांच इस दिशा में भी होनी चाहिए कि क्या अधिकारी नीलेश मोरे को लगी गोली उसी हथियार से लगी थी. कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक बन्दूक का अपना अलग-अलग तरीका  होता है. आप और मैं अपना फिंगरप्रिंट नहीं बदल सकते. एजी का कहना है कि इस तरह के विवरण के लिए उन्हें बैलिस्टिक का इंतजार करना होगा.

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हम सभी को न्याय दिलाने के लिए 

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि लाश एक मूक और विनम्र गवाह है, यह बहुत महत्वपूर्ण है. एजी ने कहा कि जांच जारी है.. हम सभी कदम उठा रहे हैं. मजिस्ट्रेट ने क्या कदम उठाए हैं, उन्हें जांच करने दें और रिपोर्ट पेश करें. एजी सहमत हैं. पिता के वकील ने आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर की ओर इशारा किया. कोर्ट ने कहा कि कानून के अनुसार हिरासत में मौत होने पर मजिस्ट्रेट द्वारा जांच की जानी चाहिए, जांच होने दीजिए. हम मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट का इंतजार करेंगे. कोर्ट ने कहा कि जब रिपोर्ट आएगी.. हम आदेश पारित करेंगे. अभी एफआईआर है, एफआईआर कोई इनसाइक्लोपीडिया नहीं है, इसमें समय लगेगा. जैसे ही जांच रिपोर्ट हमारे सामने आएगी, हम आदेश पारित करेंगे. आपको पता होना चाहिए कि कब रुकना है और क्या बयान देना है, ऐसा मत करो..जितना कम बोलो, मीडिया को कम संबोधित करो, उतना ही बेहतर है. हम सभी को न्याय दिलाने के लिए यहां हैं. पिता के वकील ने चिंता जताई कि मामले में आरोपपत्र साझा नहीं किया गया है.

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कोर्ट ने कहा कि सुनिश्चित करें कि आरोपियों के खिलाफ दायर आरोपपत्र और एफआईआर आज ही साझा किए जाएं. कोर्ट ने मजिस्ट्रेट जांच में तेजी लाने का आदेश पारित किया. 18 नवंबर को अगली सुनवाई पर रिपोर्ट पेश की जाएगी. अक्षय शिंदे ने कहा कि एनकाउंटर की न्यायिक जांच जल्द से जल्द पूरी करें बॉम्बे हाई कोर्ट. बॉम्बे हाई कोर्ट ने 18 नवंबर तक जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया.

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