छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: कोर्ट में पेश नहीं हुए 29 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ जारी हुआ जमानती वारंट

EOW-ACB Special Court: 3200 करोड़ रुपए के छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपी 29 आबकारी अधिकारियों को EOW-ACB की स्पेशल कोर्ट में उपस्थित होना था, लेकिन अधिकारी पेश नहीं हुए. अगली सुनवाई में अधिकारी नहीं पेश हुए तो कोर्ट उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करेगी.

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EOW-ACB court issued bailable warrant against 29 excise officers in Chhattisgarh liquor scam

CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपी 29 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ रायपुर स्पेशल कोर्ट ने कोर्ट में उपस्थित नहीं होने के लिए जमानती वारंट जारी किया है. पू्र्व सीएम भूपेश बघेल के कार्यकाल में हुए बड़े शराब घोटाले में बुधवार को पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को कोर्ट 4 दिन के न्यायिक हिरासत में जेल भेजा है. 

3200 करोड़ रुपए के छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपी 29 आबकारी अधिकारियों को EOW-ACB की स्पेशल कोर्ट में उपस्थित होना था, लेकिन अधिकारी पेश नहीं हुए. अगली सुनवाई में अधिकारी नहीं पेश हुए तो कोर्ट उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करेगी.

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3200 करोड़ के शराब घोटाले में 29 आबकारी अधिकारियों को बनाया गया है आरोपी

गौरतलब है प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) द्वारा अनुमानित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में करीब 3200 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था. इस घोटाले में 29 आबकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था. मामले में आरोपी पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल पर करीब 1000 करोड़ रुपए को चैनलाइज करने का आरोप लगा है.

मामले की अगली सुनवाई अधिकारी कोर्ट नहीं पहुंचे तो जारी होगा गिरफ्तारी वारंट

रिपोर्ट के मुताबिक शराब घोटाले में आरोपी 29 आबकारी अधिकारियों को EOW-ACB की स्पेशल कोर्ट में उपस्थित नहीं होने पर कोर्ट ने सभी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. अगर अधिकारी 23 सितंबर को भी कोर्ट में पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होगा.

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पूर्व सीएम भूपेश बघेल के कार्यकाल में साल 2019 से 2022 के बीच हुए बड़े शराब घोटाले की जांच में सामने आया है कि राज्य की आबकारी नीति में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए, जिसके जरिए 3200 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ. जांच के दायरे में अफसर, नेता और कारोबारी शामिल हैं.

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला कब शुरू हुआ?

साल 2019 में छत्तीसगढ़ शराब घोटाला की शुरुआत हुई, जब भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस सरकार ने राज्य में आबकारी नीति में बड़े बदलाव किए. नई आबकारी नीति में शराब की खरीदी, वितरण और बिक्री पर राज्य सरकार ने पूर्ण नियंत्रण ले लिया और नकली शराब सप्लाई, नकद लेन-देन और शराब माफियाओं को फेवर देने का खेल शुरू हुआ.

शराब बनाने और बेचने का एक समानांतर सिस्टम स्थापित किया गया

ईडी के मुताबिक, नई शराब नीति के तहत शराब बनाने और बेचने का एक समानांतर सिस्टम स्थापित किया गया, जिसमें सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं का एक सिंडिकेट शामिल था. नकली होलोग्राम्स और गलत बिलिंग का इस्तेमाल करते हुए सरकारी खजाने को खूब नुकसान पहुंचाया गया.

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आरोप है कि उन्होंने आबकारी नीति में जानबूझकर ऐसे बदलाव किए, जिससे शराब के अवैध कारोबार को बढ़ावा मिला और राज्य का राजस्व प्रभावित हुआ. आरोप है कि डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई गई और नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई.

शराब घोटाले में किन-किन आबकारी अफसरों पर क्या-क्या हैं आरोप ?

शराब घोटाले में कई वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगे हैं. इनमें पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के एमडी अरुण पति त्रिपाठी, और अनवर ढेबर का नाम मुख्य आरोपियों के रूप में सामने आया है, जिन्होंने आबकारी नीति में बदलावों को लागू करने और सिंडिकेट को चलाने में सक्रिय भूमिका निभाई है.

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