शिवरानी जी अपने समय से बहुत आगे की लेखिका थीं और हिंदी की लेखिकाओं को उनकी तरह दृष्टि अपनानी चाहिए: अशोक वाजपेयी

श्रीमती रोहिणी अग्रवाल ने कहा कि आज हमें शिवरानी देवी को केवल याद करने की नहीं बल्कि उनकी तरह योद्धा स्त्री बनकर समाज में स्त्रियों के अधिकार के लिए लड़ने की जरूरत है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

नई दिल्ली ,22 जनवरी. हिंदी के प्रख्यात लेखक एवम संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने लेखकों, विशेषकर महिला रचनाकारों से अपने लेखन में अपने समय को दर्ज करते हुए राजनीतिक दृष्टि अपनाने  की अपील की है. श्री वाजपेयी ने कल गांधी शांति प्रतिष्ठान में प्रेमचन्द की पत्नी शिवरानी जी के तीन कहानी संग्रहों का लोकार्पण करते हुए यह बात कही. उनके वर्षों से दो अनुपलब्ध कहानी संग्रह "नारी हृदय "और" "कौमुदी " का सात दशक बाद पुनर्प्रकाशन किया गया और उनकी असंकलित कहानियों का नया संग्रह "पगली " उनके निधन के करीब  50 साल बाद अब आया है.

स्त्री दर्पण द्वारा शिवपूजन सहाय की 63वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में "स्त्री लेखा "पत्रिका के स्त्री रंगमंच अंक का भी लोकार्पण किया गया जो रेखा जैन की जन्मशती पर केंद्रित है.समारोह को  सुप्रसिद्ध  विद्वान  हरीश त्रिवेदी  चर्चित आलोचक ,रोहिणी अग्रवाल साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखिका अनामिका और कहानीकार नीला प्रसाद और शिवपूजन सहाय के नाती  विजय नारायण  ने भी  संबोधित किया.

श्री वाजपेयी ने वर्तमान सत्त्ता की राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज लेखकों को अपने समय का सच कहने की जरूरत है.शिवरानी देवी अपने समय से आगे की लेखिका थीं और उनकी कहानियों में निजता के साथ साथ राजनीतिक दृष्टि भी है.आज की  स्त्री  लेखिकाओं में वह दृष्टि नहीं दिखाई पड़ती जो शिवरानी जी के पास थीं.

Advertisement

उन्होंने कहा कि शिवरानी जी कहानी समझौता दो पात्रों के संवाद की अनूठी कहानी है.वैसी कहानी हिंदी में मुझे दिखाई नहीं देती.उंन्होने साहस की भी चर्चा की. समारोह में रश्मि वाजपेयी, नासिरा शर्मा, रेखा अवस्थी, गिरधर राठी, विभा सिंह चौहान अनिल अनलहातु, जयश्री पुरवार मीना झा वाज़दा खान, अतुल सिन्हा, जितेंद्र श्रीवस्तव ज्योतिष जोशी, अशोक कुमार, विभा बिष्ट, श्याम सुशील , मनोज मोहन, रश्मि भारद्वाज, अशोक गुप्ता, प्रसून लतान्त, शुभा दिवेदी आदि उपस्थित थे.

Advertisement

प्रेमचन्द की जीवनी "कलम का सिपाही" का अंग्रेजी अनुवाद करने वाले श्री त्रिवेदी ने कहा कि उन्हें शिवरानी से मिलने के अनेक अवसर मिले, लेकिन जब भी वे मिली वह बहुत शांत स्वभाव की महिला थीं किसी से घर में बात भी नहीं करती थीं. अपने पुत्रों श्रीपत राय और अमृत राय  से भी नहीं. मुझे यह देखकर आश्चर्य भी हुआ कि इसी शिवरानी जी ने अपने जमाने मे "साहस" जैसी  साहसिक कहानी लिखी जिसमें बेमेल विवाह का तीखा विरोध करते हुए लड़की ने वर को ही जूते से मंडप में पीट दिया.

Advertisement

Also Read: तस्‍वीरों से झांकती संघर्ष और धैर्य की अनकही कहानियां, कला प्रेमियों का ताजा ठ‍िकाना है ये फोटो एग्जीबिशन

Advertisement

श्री त्रिवेदी ने कहा कि प्रेमचन्द और शिवरानी देवी में तुलना करने और शिवरानी जी को बढचढकर बताने की भी जरूरत नहीं है. अनामिका  ने कहा के कि शिवरानी देवी का लेखन या उन्होंने स्त्रियों की आंखें साफ करने का काम किया. अगर किसी को ध्यान से देख लो तो उससे नफरत करना करते नहीं बनता है. प्रेमचंद की बूढ़ी काकी कहानी में समय वातावरण का चित्रण बहुत सुंदर हुआ है वही शिवरानी देवी की बूढ़ी काकी कहानी में लेखिका अंदर की ओर लौटी है और जो संवेदनात्मक रूप से जो चित्रण किया है वह बहुत सुंदर हुआ है.

श्रीमती रोहिणी अग्रवाल ने कहा कि आज हमें शिवरानी देवी को केवल याद करने की नहीं बल्कि उनकी तरह योद्धा स्त्री बनकर समाज में स्त्रियों के अधिकार के लिए लड़ने की जरूरत है.

श्रीमती नीला प्रसाद ने “साहस” कहानी का विश्लेषण करते हुए लेखिका के साहस की चर्चा की एवम कहा कि 1924 में एक स्त्री द्वारा बेमेल विवाह का विरोध करते हुए वर को जूते से मंडप में मारना कितनी बड़ी घटना थी क्योंकि आज भी कोई लड़की यह साहस नहीं कर पाती है. श्री विजय नारायण ने अपने नाना शिवपूजन सहाय का  प्रेमचन्द तथा शिवरानी जी के साथ आत्मीय संबंधों का जिक्र करते हुए उस दौर को याद किया जब बनारस में प्रेमचन्द के साथ  लेखकों का जुटान होता था.

Also Read: पहले प्यार में टूटा दिल, छोड़ दी पढ़ाई, लिखे उपन्यास, फिर इलाज के दौरान नर्स से हुआ प्यार, किए तीन विवाह, फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी

समारोह में श्री नारायण के पिता एवम स्वतंत्रता सेनानी रंगकर्मी बीरेंद्र नारायण की अंग्रेजी में थिएटर पर लिखी पुस्तक के आवरण का भी लोकार्पण किया गया. दिव्या जोशी ने कल्पना मनोरमा की किताब की महेश दर्पण द्वारा की गई समीक्षा का पाठ किया. मीनाक्षी प्रसाद ने शिवरानी जी को काव्यांजलि पेश की और एक उनकी स्मृति में एक गीत भी गाया. संचालन कल्पना मनोरमा और विशाल पांडेय ने किया.

Featured Video Of The Day
Sharmistha Panoli को Pakistan से कौन दे रहा अपना सपोर्ट? | Instagram Influencer | Balochistan Army
Topics mentioned in this article