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This Article is From Apr 05, 2018

ज़रा-ज़रा सी बात पर खाते हैं एंटीबायोटिक तो हो जाएं सावधान

White Paper में कहा गया कि बीमारी का बोझ, खराब सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, बढ़ती आय और सस्‍ती एंटीबायोटिक दवाओं की अनियमित बिक्री जैसे कारकों ने भारत में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के संकट को बढ़ा दिया है.

ज़रा-ज़रा सी बात पर खाते हैं एंटीबायोटिक तो हो जाएं सावधान
एंटीबायोटिक खाने से हर साल सात लाख लोग मर रहे हैं
नई द‍िल्‍ली: पिछले कुछ सालों में एंटीबायोटिक दवाओं के चलन में खासी बढ़ोतरी हुई है. यही वजह है कि भारत दुनिया भर में एंटीबायोटिक दवाओं के सबसे बड़े उपभोक्‍ताओं में से एक है. यही नहीं ज्‍यादातर भारतीय मामूली सर्दी-खांसी के लिए भी एंटीबायोटिक दवाओं का इस्‍तेमाल करने लगे हैं.

कैंसर समेत कई बीमारियों की दवाएं हुई महंगी

एंटीबायोटिक दवाओं के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए एटना इंटरनेशनल ने अपने White Paper 'एंटीबायोटिक प्रतिरोध : एक बहुमूल्य चिकित्सा संसाधन की ओर से बेहतर प्रबंध' में इस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया. एंटीमिक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) से दुनिया भर में हर साल करीब सात लाख लोगों की मौत हो रही है. 

पत्र में कहा गया कि बीमारी का बोझ, खराब सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, बढ़ती आय और सस्‍ती एंटीबायोटिक दवाओं की अनियमित बिक्री जैसे कारकों ने भारत में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के संकट को बढ़ा दिया है. एंटीमिक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) से दुनिया भर में करीब सात लाख लोगों की मौत हो रही है और 2050 तक मृत्यु का आंकड़ा एक करोड़ तक पहुंच सकता है. इन मौतों में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण एंटीबायोटिक दवाओं का अनियंत्रित इस्तेमाल है.

गर्भावस्था में एंटीबायोटिक दवा बच्चों में ला सकती है आंत के रोग

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2015 में 12 देशों में सर्वे किया जिसमें सामने आया कि भारत सहित चार देशों के कम से कम 75 फीसदी उत्तरदाताओं ने पिछले छह महीनों में एंटीबायोटिक का इस्‍तेमाल किया. ब्रिक्स देशों में एंटीबायोटिक खपत में 99 फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है. पत्र में कहा गया, 'जितनी तेजी से दुनिया का मेडिकल सेक्टर विकसित हो रहा है उतनी ही तेजी से एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल लोगों में बढ़ता जा रहा है.'

मानसिक भ्रम की स्थिति पैदा करती हैं एंटीबायोटिक दवाएं

दुनिया भर में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रति बढ़ती चिंता पर वी हेल्थ बाई एटना के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. प्रशांत कुमार दास ने कहा, 'ज्‍यादातर भारतीय सोचते हैं कि एंटीबायोटिक दवाएं सामान्य सर्दी और गैस्ट्रोएन्टेरिटिस जैसी बीमारियों का इलाज कर सकती हैं, जो गलत धारणा है. इन संक्रमणों में से अधिकांश वायरस के कारण होते हैं और एंटीबायोटिक दवाइयों की उनके इलाज में कोई भूमिका नहीं होती है.'

एंटीबायोटिक दवाओं से होने वाली मौत के आंकड़ों में यूरोप सहित संयुक्त राज्य अमेरिका भी है. रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक इन दवाओं की बिक्री दुनिया के 76 गरीब देशों में तेजी से हो रही है.

Video: एंटीबायोटिक मजबूरी है या फैशन? Input: IANS

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