
Parenting Tips: बच्चे घर में हैं मतलब, शरारत और हंगामा पक्का है. कभी पानी गिरा देते हैं, कभी दीवार पर ड्राइंग बना देते हैं तो कभी सोफे पर कूद-कूदकर पूरा हॉल को खेल का मैदान बना देते हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि, उस समय आप कैसे रिएक्ट (Parenting Tips in Hindi) करते हैं. डांटते हैं, गुस्सा करते हैं या कुछ देर रुककर सोचते हैं, इस वक्त डांटना जरूरी है, या प्यार से सिखाना (Love vs Anger Parenting). इन्हीं सवालों का जवाब एक वायरल सोशल मीडिया वीडियो ने बेहद खूबसूरती से दिया है.' इंस्टाग्राम पर the_lawyer_mom नाम के हैंडल से शेयर किए गए इस वीडियो (Lawyer Mom Instagram Reel) ने लाखों दिलों को छू लिया है.
असली पैरेंटिंग सिखाता है वीडियो
इस इंस्टाग्राम वीडियो में एक छोटी बच्ची ने पूरे घर को मेस बना रखा है. जमीन पर काफी कुछ बिखरा पड़ा है, चारों ओर खिलौने और दीवारों पर भी पेंट्स. तभी कमरे में मां आ जाती हैं. सबकुछ देख वो गुस्सा करने की बजाय अपनी बच्ची की मस्ती में शामिल हो जाती हैं. यानी वो जानती थीं कि ये पल उन्हें भड़का सकता है, लेकिन उन्होंने 'रिएक्ट' करने से पहले 'कनेक्ट; करना चुना. मां मुस्कुराई, बच्ची के साथ खेलने लगीं. थोड़ी देर में पापा भी आ जाते हैं और पूरी फैमिली मस्ती में लग जाती है. यह एक क्यूट मोमेंट बन जाता है.
इस वीडियो से क्या सीख सकते हैंयह वीडियो सिर्फ क्यूट नहीं, बल्कि असली पैरेंटिंग को बता रहा है. इससे पता चलता है कि पैरेंटिंग में परफेक्शन से ज्यादा जरूरी कनेक्शन (Connection before correction) होता है. यानी पहले बच्चे के दिल से जुड़िए, फिर उसे सुधारिए या समझाइए. इस वीडियो पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि गलतियां हर बच्चा करता है, लेकिन अगर हर गलती पर उसे डांटा जाए, तो वो डरना सीखता है और अगर हर गलती पर उसे समझाया जाए, तो वो सीखता है.
घर में होती है बच्चे की असली परवरिशजब बच्चा कुछ गलत करता है, तो पेरेंट्स का गुस्सा आना लाजमी है. लेकिन उस गुस्से को कंट्रोल करना ही असली पैरेंटिंग है. क्योंकि यही वो पल होते हैं जब बच्चा आपके शब्द नहीं, आपका बिहैवियर याद रखता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, पैरेंटिंग सिर्फ बच्चों को खाना खिलाना, स्कूल भेजना, होमवर्क कराना या बच्चों को परफेक्ट बनाना नहीं है. ये हर दिन एक एग्जाम की तरह है, जिसमें सबसे जरूरी है सब्र और प्यार. हर पैरेंट्स परफेक्ट बच्चे चाहते हैं. उनसे अच्छे नंबर, अच्छी हैबिट्स, साफ-सफाई की उम्मीद करते हैं, लेकिन समझने की जरूरत है कि बच्चा कोई रोबोट नहीं है. वो इंसान होता है, जो गलती करेगा, शरारत करेगा, रोएगा और खिलखिलाएगा. हमें उन्हें प्यार देना है, ताकि जब वो लाइफ में कहीं प्रॉब्लम्स फेस करें तो उन्हें महसूस हो कि उनके पैरेंट्स साथ हैं.

1. जब बच्चा कुछ फैलाए तो तुरंत रिएक्ट न करें. गहरी सांस लीजिए और सोचिए क्या ये पल प्यार से हैंडल किया जा सकता है. उस पल को एक सीख और याद बनाने की कोशिश करें.
2. दिन की शुरुआत बच्चे को गले लगाकर करें.
3. जब बच्चा गलती करे, उस पर चिल्लाने की बजाय बाद में प्यार से समझाएं.
4. हर हफ्ते 10 मिनट बच्चे के साथ सिर्फ बातचीत का टाइम रखें बिना किसी डिस्ट्रैक्शन.
5. बच्चों को इंसान के तौर पर बेहतर बनाएं, ताकि किसी प्रॉब्लम में उन्हें महसूस हो कि पैरेंट्स उनके साथ हैं.
प्रस्तुति: रोहित कुमार
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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