Navratri 2021: नवरात्रि और गरबे का क्या है संबंध, जानिए आखिर क्यों किया जाता है नवरात्रि में गरबा

Navratri 2021: नवरात्रि में गरबा किया जाता है, गरबा का इस पर्व में विशेष महत्व है, इसके पीछे एक पुरानी परंपरा है, जिसे जानना चाहिए. इस वर्ष  नवरात्रि  7 अक्टूबर से शुरू हो रही है और 15 अक्टूबर को दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा.  

Navratri 2021: नवरात्रि और गरबे का क्या है संबंध, जानिए आखिर क्यों किया जाता है नवरात्रि में गरबा

Navratri 2021: श्रद्धालुओं का मानना है कि मां अंबे को ये नृत्य बेहद पसंद है और इसी वजह से श्रद्धापूर्वक गरबा करने की परंपरा चली आ रही है.

नई दिल्ली :

Navratri 2021 : नवरात्रि ( Navratri 2021) का पर्व बहुत नजदीक आ गया है, इस बार यह 7 अक्टूबर 2021, दिन गुरुवार से शुरू हो जाएगा और 14 अक्टूबर तक चलेगा. वहीं 15 तारीख को दशहरा है. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा नौ स्वरूपों के पूजन के लिए होते हैं. यह हिंदू धर्म के लोगों के लिए भव्य त्योहारों में से एक है. हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्र अहम है. इस दौरान पंडालों में मां दुर्गा की पूजा होती है. नवरात्रि में गरबा होता है, डांडिया खेला जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि नवरात्रि और गरबे का क्या संबंध है, आखिर नवरात्रि में गरबा क्यों किया जाता है, आपके सभी सवालों के जवाब आज यहां हम आपको दे रहे हैं.

क्यों खेला जाता है नवरात्रि पर गरबा

आधुनिक दौर में गरबा खेलना भले ही फैशन में आ गया हो, लेकिन माता के दरबार में गरबा खेलने का धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि मां अंबे ने महिषासुर का वध किया. महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति मिलने पर लोगों ने नृत्य किया, इस नृत्य को ही गरबा के नाम से पहचाना जाता है. श्रद्धालुओं का मानना है कि मां अंबे को ये नृत्य बेहद पसंद है और इसी वजह से मां की स्थापना कर श्रद्धापूर्वक गरबा करने की परंपरा चली आ रही है. माना जाता है कि माता इससे प्रसन्न होती हैं.

गरबा का पारंपरिक महत्व
परंपरागत रूप से गरबा एक मिट्टी के बर्तन (गारबो) के चारों ओर एक दीपक के साथ किया जाता है, जिसे 'गर्भ दीप' कहा जाता है. यह प्रतीकात्मक होता है. नर्तक इस मिट्टी के बर्तन या घड़े के चारों ओर अपने हाथों और पैरों से गोलाकार गति करते हुए, मंडलियों में घूमते हैं. यह इशारा जीवन के चक्र का प्रतीक है, जो जीवन से मृत्यु तक पुनर्जन्म की ओर बढ़ता है. मिट्टी का घड़ा या गार्बो गर्भ का प्रतीक है.

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ऐसा माना जाता है कि अंबा माता या अंबे मां एक महिला और दुनिया की रक्षक हैं. वह अपने बच्चों को बाहरी दुनिया के प्रकोप से बचाती हैं और हर मां की तरह अपने बच्चों के लिए खड़ी होती है. अंदर का प्रकाश गर्भ में पल रहे शिशु का प्रतीक है. यह हर महिला, खासकर माताओं का सम्मान है. गर्भ भी जीवन देने वाला है, जहां शरीर पैदा होता है और आकार लेता है.