विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From May 24, 2018

Menopause के बाद आसान नहीं होती महिलाओं की जिंदगी, बन जाती हैं इस गंभीर बीमारी का श‍िकार

किसी महिला के लिए जैसे पीरियड्स जरूरी हैं, उसी तरह से मेनोपॉज भी अहम है. लेकिन इसी के साथ हड्डियों से जुड़ी चुनौतियां भी सामने आने लगती हैं.

Read Time: 7 mins
Menopause के बाद आसान नहीं होती महिलाओं की जिंदगी, बन जाती हैं इस गंभीर बीमारी का श‍िकार
मेनोपॉज के बाद महिलाओं को हड्डियों से जुड़ी बीमारियां घेर लेती हैं
नई द‍िल्‍ली: जब कोई लड़की टीनएज की ओर कदम बढ़ाती है तो वह खुद में बॉयोलोजिकल, हार्मोनल और मनोवैज्ञानिक बदलाव महसूस करती है. पीरियड्स और शारीरिक बदलाव होना किसी भी लड़की के लिए जरूरी है क्‍योंकि इसी वजह से वह मां बन पाती है और इस दुनिया में नए जीव को ला पाती है.

पीरियड्स बंद होने की वजह है चावल, महिलाओं में बढ़ा रहे हैं इन बीमारियों के खतरे

किसी महिला के लिए जैसे पीरियड्स जरूरी हैं, उसी तरह से उसके जीवन में मेनोपॉज भी अहम है. इससे महिला को माहवारी के दौरान के दर्द, मूड में बदलाव और सिरदर्द जैसे लक्षणों से छुटकारा मिलता है. लेकिन इसी के साथ हड्डियों से जुड़ी चुनौतियां सामने आने लगती हैं.

दुनिया भर में आमतौर पर महिलाओं को मेनोपॉज 45 से 55 की उम्र में होता है. लेकिन हाल ही में 'द इंस्टीट्यूट फॉर सोशल एंड इकनोमिक चेंज' के सर्वे से पता चला है कि करीब 4 फीसदी महिलाओं को मेनोपॉज 29 से 34 साल की उम्र में हो जाता है, वहीं लाइफस्‍टाइल में बदलाव के चलते 35 से 39 साल के बीच की महिलाओं का आंकड़ा 8 फीसदी है. 
 
osteoarthritis

मेनोपॉज और हड्डी के बीच के संबंध को विस्तार से बताते हुए वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑथोर्पेडिक्स के एसोसियेट प्रोफेसर और जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. जतिन तलवार कहते हैं, 'एस्ट्रोजन हार्मोन पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाया जाता है और यह हड्डियों को बनाने वाले ओस्टियोब्लास्ट कोशिकाओं की गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. मेनोपॉज के दौरान महिलाओं का एस्ट्रोजन स्तर गिर जाता है जिससे ओस्टियोब्लास्ट कोशिकाएं प्रभावित होती हैं. इससे पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. कम एस्ट्रोजन से शरीर में कैल्शियम सोखने की क्षमता कम हो जाती है और हड्डियों की डेन्‍सिटी यानी कि घनत्व गिरने लगता है. इससे महिलाओं को ओस्टियोपोरिसस और ओस्टियोआथ्र्राइटिस (ओ ए) जैसी हड्डियों से जुड़ी बीमारियां होने का रिस्क बढ़ जाता है.'

मेनोपॉज के बाद महिलाओं में बढ़ जाता है दिल की बीमारियों का खतरा

अगर समय पर सेहत से जुड़ी जानकारी के प्रति जागरुक हो जाएं तो समय रहते इन बीमारियों की रोकथाम और इलाज से जुड़े फैसले लिए जा सकते हैं. 

दरअसल, ओस्टियोआर्थ्राइटिस बीमारी नहीं है बल्कि यह उम्र के साथ जोड़ों में होने वाले घिसाव से जुड़ा हुआ है. अगर जोड़ों में घिसाव ज्यादा हो जाए तो यह किसी भी व्यक्ति की जिंदगी को प्रभावित कर सकता है और आखिरी स्टेज पर तो जोड़ों की क्रियाशीलता भी बहुत ज्यादा प्रभावित होती है.

युवा महिलाओं को जल्द मेनोपॉज होने की वजह
आमतौर पर जल्द मेनोपॉज होने का कारण सिगरेट पीना, पहले से मौजूद थॉयरॉयड, कीमोथेरेपी और गंभीर पेल्विक सर्जरी हो सकती है. इस बारे में पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीएसआरआई) अस्पताल के चीफ नी व हिप रिप्लेसमेंट और अथ्रेस्कोपी डॉ. गौरव पी. भारद्वाज का कहना है, 'ज्यादातर समय घर या ऑफिस में बैठे रहने, कसरत या फिजिकल काम न करने, वजन बढ़ने और कैल्शियम की कमी, ओस्टियोआथ्र्राइटिस के रिस्क को बढ़ा देती है. जोड़ों के आसपास दर्द, अकड़न और सूजन और कभी कभी जोड़ों का गर्म होना, मेनोपॉज के दौरान जोड़ों के दर्द के खास लक्षण हैं. यह लक्षण सुबह के समय ज्यादा गंभीर होते हैं और फिर धीरे धीरे कम हो जाते है.'

Periods में हुआ बदलाव : 30 से कम उम्र की महिलाएं बन रहीं हैं 'बांझ'

ओस्टियोआर्थराइटिस का इलाज
विभिन्न अनुसंधानों से पता चला है कि ओस्टियोआर्थराइटिस पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है और मेनोपॉज के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेने के बावजूद इसका रिस्क ज्यादा बढ़ जाता है. हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी में प्राकृतिक रूप से खत्म होते एस्ट्रोजन की कमी को दवाइयों के सहारे पूरा किया जाता है. 

शुरुआती स्टेज में ओस्टियोआर्थराइटिस का इलाज पेनकिलर से किया जाता है. पेनकिलर की मदद से दर्द कम किया जाता है और कसरत से जोड़ के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत किया जाता है, जिससे जोड़ों को स्थिरता मिलती है और भविष्य में होने वाले नुकसान से सुरक्षा मिलती है.

मेनोपॉज से रही हैं गुजर, तो रखें इन बातों का ध्‍यान

डॉ. तलवार कहते हैं, 'गंभीर आर्थराइटिस में रोगी के लिए चलना फिरना मुश्किल हो जाता है और तेज दर्द रहता है. इससे मरीज की जिंदगी बहुत ज्यादा प्रभावित होती है, ऐसे में जोड़ों को बदलना ही बेहतर विकल्प रहता है. जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में जोड़ के खराब भाग को हटाकर उस पर कृत्रिम इंप्लांट लगाया जाता है. नए इंप्लांट की मदद से दर्द में आराम मिलता है और जोड़ों की कार्यक्षमता सुचारू रूप से होती है.'

जर्मनी की ब्रीमन यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पाया गया कि घुटनों में ओस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित जिन लोगों ने टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) कराया है, उन्होंने सर्जरी कराने के बाद साल भर में खुद को ज्यादा सक्रिय महसूस किया है. यहां यह बताना भी बेहद महत्वपूर्ण है कि टीकेआर के बाद ज्यादातर मरीज शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय हुए हैं.

इलाज से बेहतर है रोकथाम
महिलाओं और पुरुषों दोनों में उम्र के साथ हार्मोन में बदलाव होता है. महिलाओं में जहां  मेनोपॉज होता है तो पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन गिरने लगता है, उसे एंडरोपॉज कहते हैं. महिलाओं में हड्डियों के नुकसान का लेवल औसतन 2-3 फीसदी प्रति वर्ष होता है जबकि पुरुषों में हार्मोन फेज के बाद हड्डियों के नुकसान का लेवल सिर्फ 0.4 फीसदी होता है. तो आपके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि आपकी हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए किसकी जरूरत है ताकि जोड़ों के गंभीर रोगों से बचा जा सके. 

मेनोपॉज के बाद दांतों के टूटने से बढ़ जाता है मौत का खतरा

जोड़ों की बीमारियों से बचने के लिए डॉ. भारद्वाज कहते हैं, 'हालांकि इस नुकसान को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता लेकिन एंटी ओस्टियोपोरेटिक ट्रीटमेंट रिप्लेसमेंट थेरेपी की मदद से इसके स्तर को कम किया जा सकता है. नियमित कसरत, वजन कम करना, प्रोटीन और कैल्शियम युक्त आहार लेना, कैफीन से परहेज और चाय और सोडे वाली ड्रिंक कम लेने से जोड़ों को सेहतमंद रखा जा सकता है.'

समय पर ध्यान देने से दर्द कम किया जा सकता है और जिंदगी को बेहतर बनाया जा सकता है.

Video: जानिए मेनोपॉज के बारे में (इनपुट: आईएएनएस)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
73 किलो था वजन 6 महीने में घटाकर कर लिया 55, अब दोनों बेटियों को है इन पर नाज
Menopause के बाद आसान नहीं होती महिलाओं की जिंदगी, बन जाती हैं इस गंभीर बीमारी का श‍िकार
Home Remedies : इस नुस्खे से बहुत आसानी से चेहरे की झाइयां हो सकती हैं कम, रूटीन में फॉलो करने की है जरूरत
Next Article
Home Remedies : इस नुस्खे से बहुत आसानी से चेहरे की झाइयां हो सकती हैं कम, रूटीन में फॉलो करने की है जरूरत
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;