कोविड-19 (covid-19) से बुरी तरह प्रभावित रोगियों के फेफड़ों के उत्तक अधिकतर मामलों में ठीक हो गए. एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. नीदरलैंड के रेडबाउंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि अस्पतालों के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती रोगी ज्यादा अच्छे तरीके से ठीक हो पाए. ‘क्लीनिकल इन्फेक्शियस डिजीजेज़' पत्रिका में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है. कोविड-19 से बुरी तरह संक्रमित होने के बाद ठीक हो चुके 124 रोगियों को इस अध्ययन में शामिल किया गया. रोगियों की जांच सीटी स्कैन से की गई और उनके फेफड़ों की भी जांच की गई. तीन महीने के बाद शोधकर्ताओं ने जायजा लिया और पता चला कि रोगियों के फेफड़ों के उत्तक अच्छी तरह से ठीक हो चुके हैं.
मेट्रो के 20 साल आयु वर्ग वाले आधे से अधिक लोगों को जीवनकाल में हो सकता है मधुमेह: अध्ययन
शोधकर्ताओं ने बताया, कि फेफड़े के उत्तक में क्षति सामान्य तौर पर सीमित थी और उन रोगियों में ज्यादा थी जिनका इलाज आईसीयू में हुआ. अध्ययन के मुताबिक, तीन महीने के बाद सबसे सामान्य शिकायत थकान, सांस फूलना और सीने में दर्द की थी. फेफड़ा रोग विशेषज्ञ ब्रैम वान डेन बॉर्स्ट ने कहा, ‘‘निमोनिया या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) से ठीक हुए मरीजों की भांति लक्षण इन रोगियों में भी दिखे, जिनमें फेफड़ों में तरल पदार्थ जम जाता है.'' अध्ययन में रोगियों को तीन श्रेणियों में विभक्त कर दिया गया -- एक समूह जो आईसीयू में भर्ती था, दूसरे समूह में अस्पताल के नर्सिंग वार्ड में भर्ती रोगी थे और ऐसे लोग तीसरे समूह में थे जिनमें लक्षण थे लेकिन वे घर पर ही रहे. अध्ययन में आकलन किया गया कि तीन महीने के बाद रोगियों पर क्या प्रभाव रहा.
‘सेल्फी' को सुंदर बनाने के लिए ‘फिल्टर' का अधिक इस्तेमाल करते हैं भारतीय : अध्ययन
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं