
Japanese Concept Fukinsei: हम में से ज्यादातर लोग परफेक्शन यानी हर चीज को सही तरीके से करने की दौड़ में लगे रहते हैं. हम जताएं या न जताएं पर सच ये है कि हम जो करते हैं परफेक्शन की हद तक करते हैं. वो वाकई परफेक्ट है या नहीं ये अलग बात है. लेकिन क्या हो अगर हम जानबूझकर अपने काम में थोड़ी सी कमी ही छोड़ दें? कुछ अधूरा सा छूटे, कुछ थोड़ा टेढ़ा-मेढ़ा सा ही रहने दें? ये बात या सीख सुनने में कुछ अजीब सी लगती है. लेकिन यही आदत जापानियों (what to learn from japanese culture) को पूरी दुनिया से अलग खड़ा करती है. जापान की एक खूबसूरत सोच है फुकिंसेई (Fukinsei). ये सोच हमें यही सिखाती है – कि हर चीज को परफेक्ट बनाने की जरूरत नहीं है.
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क्या है फुकिंसेई? (What Is FukinSei)
फुकिंसेई का मतलब है “असंतुलन” या “असमानता”, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इसमें अव्यवस्था को पसंद किया जाता है. बल्कि ये सोच हमें ये समझने में मदद करती है कि जो चीजें पूरी तरह से परफेक्ट नहीं होतीं, उनमें भी एक खास तरह की सुंदरता और सच्चाई हो सकती है.
जैसे जापानी बगीचों में पत्थर बिल्कुल बराबर दूरी पर नहीं रखे जाते. पारंपरिक जापानी घरों की बनावट भी थोड़ी अलग होती है. वो घर को इस तरह नहीं बनाते कि वो ईवन या बैलेंस लगे. उनके ऐसे घरों में भी एक खास किस्म का आकर्षण छुपा होता है. इसे ऐसा समझ लीजिए कि घर की दीवार पर एक ब्रशस्ट्रोक जो अचानक अधूरा सा रह जाता है, उसमें भी एक तरह की एनर्जी और खूबसूरती का एहसास होता है.

ज़ेन बुद्धिज्म से जुड़ी है सोच
फुकिंसेई की जड़ें ज़ेन बुद्धिज्म से जुड़ी हैं. जो हमें सिखाती है कि सब कुछ कंट्रोल करने की जरूरत नहीं है. हर चीज को पूरी तरह से खत्म करने या परफेक्ट बनाने के बजाय, थोड़ी जगह छोड़ देना जरूरी है – ताकि चीजें खुलकर सांस ले सकें.
आज की दुनिया में, जहां सोशल मीडिया पर सब कुछ चमकदार और परफेक्ट दिखाने की होड़ है. उस दुनिया में फुकिंसेई हमें थोड़ी राहत देने वाली सोच हो सकती है. ये सोच हमें कहती है, “थोड़ा रुकिए, अपनी कसौटियों को थोड़ा कसना कम कीजिए, और देखिए कि जो थोड़ा सा टेढ़ा है. वो भी कितना खूबसूरत हो सकता है.” ये सिर्फ डिजाइन या आर्ट की बात नहीं है, जिंदगी में भी हम इसे अपना सकते हैं.
कैसे अपनाएं फुकिंसेई को?
- जब आप घर सजाएं, तो जरूरी नहीं कि हर चीज बिल्कुल बराबरी से रखी हो. कभी-कभी थोड़ी असमानता ही कमरे में गर्मजोशी और गहराई लाती है.
- अपने काम या किसी प्रोजेक्ट में, हर बार परफेक्ट रिजल्ट लाने की कोशिश करने की बजाय, कभी-कभी सिर्फ ईमानदारी और भावनाओं पर ध्यान दीजिए.
- अपनी दिनचर्या में थोड़ी फ्लेक्सीबिलिटी लाइए – हर पल को टाइमटेबल से न बांधिए.
- सुबह की मेडिटेशन के समय, जब दिमाग़ में उलझनें और तनाव हों, तो ये सोच आपको शांति दे सकती है. ये आपको कहती है कि आप जैसे हैं, जैसे जी रहे हैं. वो भी ठीक है.
- तो अगली बार जब कुछ थोड़ा गलत, थोड़ा इमपरफेक्ट लगे. उसे ठीक करने की जल्दबाजी न करें. शायद वहीं पर असली खूबसूरती छुपी हो. यही है फुकिंसेई की खूबसूरती. जो परफेक्शन से नहीं, बल्कि दिल से जुड़ी होती है.
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