
डेंगू के इलाज के लिए पहली बार किसी दवा का परीक्षण सफल रहा है
- वैज्ञानिकों ने डेंगू के इलाज के लिए दवा बनाई है
- यह अपने तरह की पहली दवा है
- इस दवा को सात जड़ी-बूटियों से मिलकर बनाया गया है
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नई दिल्ली:
हर साल सितंबर आते-आते डेंगू का खतरा मंडराने लगता है. शुरुआत में तो यह बुखार सामान्य लगता है लेकिन सही इलाज के कमी और देरी के चलते ये जानलेवा हो जाता है. अब भारतीय वैज्ञानिकों ने एक आयुर्वेदिक दवाई विकसित की है. इन वैज्ञानिकों का दावा है कि डेंगू के इलाज की यह अपने तरह की पहली दवाई है. अगले साल से यह दवाई बाजार में मरीजों के लिए उपलब्ध हो जाएगी.
जानें कैसे डेंगू के टीके से बढ़ सकता है जीका का प्रकोप
आयुष मंत्रालय के तहत आने वाली स्वायत्त इकाई केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद ( सीसीआरएएस ) और कर्नाटक के बेलगांव के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र आईसीएमआर ने पायलट अध्ययन कर लिया है, जिसने इसकी चिकित्सीय सुरक्षा और प्रभाव को साबित किया है.
सीसीआरएएस के महानिदेशक प्रोफेसर वैद्य के एस धीमान ने बताया कि यह दवाई सात ऐसी जड़ी-बूटियों बनाई गई है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में सदियों से होता आ रहा है.
चिकनगुनिया की चुनौती से कैसे निपटें?
धीमान ने बताया कि उष्णकटिबंधीय देशों में डेंगू एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरा है. भयावहता और सीमित रूप में पारंपरिक इलाज होने की वजह से सरकार और सभी स्वास्थ्य एजेंसियों का ध्यान इस रोग ने अपनी तरफ खींचा है.
उन्होंने बताया कि इस दवाई के निर्माण की शुरुआत साल 2015 में हुई थी और इसके शुरुआती अध्ययन मेदांता अस्पताल , गुड़गांव और चिकित्सीय रूप से इसके सुरक्षित होने का अध्ययन बेलगांव और कोलार में किया गया. इस दवाई का निर्माण पिछले साल जून में हो गया था.
Video: वायरस से फैलता है डेंगू और चिकुनगुनिया, जानें बचाव के उपायInput: Bhasha
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सीसीआरएएस के महानिदेशक प्रोफेसर वैद्य के एस धीमान ने बताया कि यह दवाई सात ऐसी जड़ी-बूटियों बनाई गई है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में सदियों से होता आ रहा है.
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धीमान ने बताया कि उष्णकटिबंधीय देशों में डेंगू एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरा है. भयावहता और सीमित रूप में पारंपरिक इलाज होने की वजह से सरकार और सभी स्वास्थ्य एजेंसियों का ध्यान इस रोग ने अपनी तरफ खींचा है.
उन्होंने बताया कि इस दवाई के निर्माण की शुरुआत साल 2015 में हुई थी और इसके शुरुआती अध्ययन मेदांता अस्पताल , गुड़गांव और चिकित्सीय रूप से इसके सुरक्षित होने का अध्ययन बेलगांव और कोलार में किया गया. इस दवाई का निर्माण पिछले साल जून में हो गया था.
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