Grandparents' Day 2022: एक समय था जब बच्चे अपने माता-पिता से भी ज्यादा करीब अपने दादा-दादी के करीब हुआ करते थे. दादा जी के साथ वे स्कूल से आते ही नए-नए खेल खेलते थे तो दादी की कहानियों से रात में उनकी आंखें मुंदती थीं. लेकिन, जैसे-जैसे समय बदला है वैसे-वैसे ही रिश्ते (Relationship) और उनके मायने भी बदल गए हैं. आजकल बच्चे अपने माता-पिता (Parents) के साथ नहीं बल्कि अपनी नौकरी और मर्जी के चलते घर से दूर रहना पसंद करते हैं और उनके बच्चे फिर अपने दादा-दादी (Grandparents) की संगत से दूर रह जाते हैं.
हर साल सितंबर के दूसरे रविवार के दिन ग्रेंडपैरेंट्स डे मनाया जाता है और इस साल 11 सिंतबर (11 September) के दिन यह मनाया जाना है. इस दिन को हमारे जीवन में दादा-दादी के योगदान की सराहना करने के रूप में भी देखा जा सकता है.
बच्चों का मेल-मिलाप दादा-दादी से त्योहार आदि पर ही होता है और जो करीबी उनके रिश्ते में बड़े होने तक होनी चाहिए अब नहीं होती जिसकी एक वजह बढ़ती टेक्नोलॉजी को भी कहा जा सकता है. लेकिन, आप अपने बच्चों को दादा-दादी के प्यार और जीवन की सीखों से अलग मत रखिए. चाहे आप उनसे अलग ही क्यों ना रहते हों लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रख बच्चों और उनके ग्रेंडपैरेंट्स को एक-दूसरे की जिंदगी का अहम हिस्सा बना सकते हैं.
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बच्चों की ग्रेंडपैरेंट्स से किस तरह बनाकर रखें करीबी
मेल-मिलाप के बहाने
अगर बच्चों के दादा-दादी (Dada-Dadi) एक ही शहर में रहते हैं तो मेल-मिलाप के बहाने ढूंढते रहें और जितना हो सके बच्चों को दादा-दादी से मिलने का मौका दें. उन्हे दादा-दादी के साथ पिकनिक पर लेकर जाएं, कभी रेस्टोरेंट तो कभी चिड़ियाघर की सैर पर. बच्चों को कभी-कभी उनके दादा-दादी (Grandfather-Grandmother) के साथ रहने भेजें. यह आपको बच्चों की छोटी उम्र से ही करना होगा.
कई बार हमारे रिश्ते हमारे माता-पिता के साथ अच्छे नहीं होते लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि हम अपने बच्चों (Children) को उनके दादा-दादी के प्यार से वंचित रखें. अगर आप अपने माता-पिता से करीबी नहीं चाहते तो ठीक है, लेकिन बच्चों को उनके करीब जाने से ना रोकें.
तकनीक का करें इस्तेमाल
तकनीक के कारण व्यक्ति अपने बगल में बैठे व्यक्ति से भी दूर हो जाता है लेकिन इसी तकनीक यानी टेक्नोलॉजी के चलते बहुत दूर बैठा इंसान भी करीब आ जाता है. बच्चों को फोन पर ही सही लेकिन दादा-दादी की कहानियां सुनने की आदत डालें, साथ ही उन्हें अपनी दिनचर्या के बारे में बताने के लिए भी कहें.
जब बच्चों से कहा जाता है कि अपने परिवार के बारे में बताओ तो वे अपने माता-पिता तक ही सीमित रह जाते हैं क्योंकि वे अपने दादा-दादी से उतने परिचित नहीं होते जितना होना चाहिए. अपने बच्चों के फैमिली ट्री में उनके दादा-दादी को स्थान दें, उनकी कहानियों और मेरा परिचय जैसे लेखों में दादी-दादी के लिए भी जगह बनाएं. यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि उनके बच्चों की यादों में दादा-दादी का खास स्थान हमेशा रहे.
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